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मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने साझा कि ग्रामीणों और प्रवासी श्रमिकों की प्रेरणादायक कहानियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को मन की बात कार्यक्रम में जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे स्थानीय लोगों और प्रवासी श्रमिकों ने एक-दूसरे की मदद की।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 01:56 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 01:56 PM (IST)
मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने साझा कि ग्रामीणों और प्रवासी श्रमिकों की प्रेरणादायक कहानियां
मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने साझा कि ग्रामीणों और प्रवासी श्रमिकों की प्रेरणादायक कहानियां

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को मन की बात कार्यक्रम में जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे स्थानीय लोगों और प्रवासी श्रमिकों ने एक-दूसरे की मदद की है और कोरान वायरस महामारी के दौरान पर्यावरण की देखभाल की है। 

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प्रधान मंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के 66 वें संस्करण में कहा, 'हर महीने, हम उन समाचारों में आते हैं जो हमारे दिलों को छूते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि हर भारतीय कैसे एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहता है'। इसके साथ ही मोदी ने कहा कि मुझे अरुणाचल प्रदेश की एक ऐसी प्रेरक कहानी पढ़ने का मौका मिला।

सियांग जिले के मिरेम गांव ने एक अनोखी उपलब्धि का प्रयास किया, जो भारत के लिए प्रेरणा बन गया है। इस गांव के कई लोग बाहर काम करते हैं। ग्रामीणों ने देखा कि ये लोग  कोरोनोवायरस महामारी के दौरान गांव वापस लौट रहे हैं तो ग्रामीणों ने इन लोगों के ठहरने की व्यवस्था की। गांव के बाहर ग्रामीणों ने उनकी मदद करने के लिए क्वारंटाइन का इंतजाम करने का फैसला किया। 

उन्होंने आपस में मिलकर गांव से कुछ ही दूरी पर 14 अस्थायी झोपड़ियां बना दीं, और ये तय किया कि जब गांव वाले लौटकर आएंगे तो उन्हें इन्हीं झोपड़ियों में कुछ दिन क्वारंटाइन में रखा जाएगा। उन झोपड़ियों में शौचालय, बिजली-पानी समेत, दैनिक जरुरत की हर तरह की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। जाहिर है, मिरेम गांव के लोगों के इस सामूहिक प्रयास और जागरूकता ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया।

उन्होंने 'श्लोक' भी पढ़ा, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है, "जैसे कपूर आग में जलने के बावजूद भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, पुण्यात्मा किसी आपदा का सामना करते हुए अपने गुणों या अपने वास्तविक स्वभाव का त्याग नहीं करता है।" उन्होंन कहा कि आज हमारे देश की श्रम शक्ति, हमारे कार्यकर्ता भाई इस मंत्र का प्रतीक हैं। आप अपने लिए गवाह बन सकते हैं। इन दिनों हमारे प्रवासी श्रमिकों की बहुत सारी कहानियां हैं जो ,पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।


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