VIDEO PM Modi Interview by Akshay: क्यों अपनी मां व भाई को PM आवास में नहीं रखते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं पीएम बनकर निकला होता तो शायद मेरा मन भी करता। मैंने बहुत ही कम आयु में घर छोड़ दिया था। लगाव मोह माया सब खत्म हो गया।
नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीजी जिंदगी को लेकर कई बार विपक्ष उनपर निशाना साधता रहा है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिनेता अक्षय कुमार को इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प किससे सुनाए साथ ही उन्होंने अपने परिवार को लेकर कई बातें बताईं। इस दौरान उन्होंने बताया कि वह क्यों अपनी मां और परिवार के साथ रहते।
अक्षय ने पीएम मोदी से सवाल करते हुए पूछा 'जैसे में अपने परिवार, अपनी मां के साथ रहता हूं, आपका इतना बड़ा घर है क्यो कभी आपका मन नहीं करता की आप अपनी मां, आपके भाई और अपने रिश्तेदारों के साथ रहे?'
नरेंद्र मोदी ने जवाब देते हुए कहा कि अगर मैं पीएम बनकर निकला होता तो शायद मेरा मन भी करता। मैंने बहुत ही कम आयु में घर छोड़ दिया था। लगाव, मोह, माया सब खत्म हो गया। मेरी ट्रेनिंग ही इस तरह की हुई थी। एक समय के बाद घर छोड़ता तो शायद तकलीफ होती हालांकि, उस समय भी हुई होगी। अब जिंदगी ही वो बन गई है। मैंने अपने मां को यहां बुलाया था। कुछ दिन उनके साथ बिताएं। मेरी मां ने कहा कि मेरे पीछे क्यों तुम अपना समय खराब करते हो। मां कहती थी कि मैं तुम्हारे साथ क्या बात करुं, मैं गांव चली जाती हूं वहां लोग मिलने आते है तो बाते होती है। मैं तुम्हारे साथ क्या बात करुं। पीएम ने कहा कि स्वाभाविक है कि ऐसे में किसी का मन मेरे साथ नहीं लगेगा। मैं भी समय नहीं देता अपने कामों में व्यस्त रहता था। मैं एक दो बार मां के साथ खाना खा लेता था। मैं रात को 12 बजे आता हूं तो मां को दुख होता है।
पीएम बनने के बारे में कभी नहीं सोचा
अक्षय ने दूसरा सवाल किया कि क्या आपने कभी सोचा था कि आप प्रधानमंत्री बने, अगर सोचा भी था तो किस आयु में अपने सोचा की आप इस देश को संभाले? उन्होंने कहा कि कभी मेरे मन में ऐसा विचार नहीं आया। सामान्य लोगों के मन में ये बात गले से नहीं उतरेगी। मेरा जो फैमिली बैकग्राउंड है उसमें अगर मुझे अच्छी नौकरी ही मिल गई होती तो मेरी मां लोगों को गुड खिला देती की चलो मेरे बेटे को नौकरी मिल गई। हमने कुछ सोचा नहीं था गांव के बाहर कुछ ज्यादा देखा नहीं था। ये तो ऐसी ही यात्रा चल पड़ी और देश मुझे लेता चला गया। जिम्मेदारियां आती गईं। मुझे ये सब अप्रकृतिक लग रहा है क्योंकि मेरा बैकग्राउंड मेरी दुनिया आज की जो राजनीति का तौर तरीका है उसमें ये सब बैठता ही नहीं है। मुझे आश्चर्य होता है कि देश मुझे कैसे इतना प्यार करता है।