पीएम मोदी के बुलेट ट्रेन के सपने पर किसानों का 'ब्रेक', क्यों हो रहा ऐसा?
मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने का पीएम नरेंद्र मोदी का सपना अभी थोड़ा और वक्त ले सकता है। इसका कारण स्थानीय किसानों का विरोध है।
पालघर [रायटर]। पीएम नरेंद्र मोदी के भारत में बुलेट ट्रेन चलाने के सपने पर किसानों ने 'ब्रेक' लगा दिया है।ऐसेमें जापान समर्थित 17 अरब डॉलर (1140 करोड़ रुपये से ज्यादा) की बुलेट ट्रेन परियोजना का काम समय से पूरा नहीं हो पाएगा। इस परियोजना के लिए दिसंबर तक जमीन अधिगृहीत की जानी है, लेकिन फलों के बाग के मालिकों के विरोध के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में देरी हो सकती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय इस परियोजना पर लगातार नजर रखे हुए है। इसका कारण यह है कि भारतीय अधिकारी टोक्यो को आश्वस्त करना चाहते हैं कि महाराष्ट्र के चीकू और आम के बाग मालिकों से लगातार बातचीत के जरिये कठिनाई दूर की जा सकती है।
जेआइसीए से कर्ज मिलने में व्यवधान पैदा होगा
तय समयसीमा के भीतर जमीन अधिगृहीत नहीं होने पर जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) द्वारा सॉफ्ट लोन देने में देरी होगी। जापानी सरकार का निकाय जेआइसीए अगले महीने परियोजना की समीक्षा करेगा। स्थानीय राजनेताओं की शह पर हाल के महीनों में 108 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के लिए किए जा रहे प्रयास के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन कारिडोर का यह करीब पांचवां हिस्सा है।
सरकारी नौकरी दे तो देंगे जमीन
पालघर में अपना बाग दिखाते हुए चीकू उत्पादक किसान 62 वर्षीय दशरत पुरव ने कहा, 'पेड़ लगाने में मैंने तीन दशक तक कड़ी मेहनत की है। अब वे मुझसे यह जमीन सौंपने के लिए कह रहे हैं। मैंने परियोजना को जमीन देने के लिए कड़ी मेहनत नहीं की है। यह मैंने अपने बच्चे के लिए किया है।' किसान ने कहा कि उनके दो बेरोजगार बेटे में से कम से कम एक को सरकारी नौकरी दी जाय तभी वह अपनी जमीन बेचेंगे।
नया नहीं है जमीन अधिग्रहण का विरोध
भारत में जमीन अधिग्रहण का विरोध आम बात है। देश में हजारों किसानों के पास बहुत कम जमीन है। एक कंसोर्टियम की प्रस्तावित रिफाइनरी को भी महाराष्ट्र में जमीन हासिल करने में संघर्ष करना पड़ रहा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों में से एक होगी।