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पाकिस्तान के खिलाफ केरल से पीएम मोदी दे सकते हैं संदेश

उड़ी घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को पहली जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। मोदी की रैली पर सबकी नजरें लगी हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2016 02:06 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 04:19 AM (IST)
पाकिस्तान के खिलाफ केरल से पीएम मोदी दे सकते हैं संदेश

कोझीकोड, केरल[आशुतोष झा]। उड़ी की आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई को लेकर रहस्यमयी चुप्पी साध कर बैठी भाजपा केरल से कोई संदेश दे सकती है। इस घटना के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को पहली जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। मोदी की रैली पर सबकी नजरें लगी हैं।

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वहीं यह भी तय माना जा रहा है कि रविवार को भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में भी आतंक के खिलाफ सख्ती का संदेश दिया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की दूसरी पारी के पहले राष्ट्रीय परिषद के लिए केरल को कुछ खास उद्देश्य से चुना गया था।

भाजपा के विचार पुरुष दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के अध्यक्ष यहीं बनाए गए थे और भाजपा उनके जन्मशती समारोह के उत्सव के साथ ही केरल में खुद के लिए जमीन तैयार करने का अवसर भी देख रही है। पर बदली हुई परिस्थिति में परिषद का महत्व थोड़ा बदल गया है।

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पठानकोट के बाद उड़ी में जिस तरह पाकिस्तान प्रायोजित आतंक ने नंगा नाच दिखाया उसके बाद सरकार की ओर से भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। शीर्ष स्तर से लगातार यह संकेत भी दिया जा रहा है कि इस बार भारत की जवाबी कार्रवाई प्रभावी होगी। लेकिन इस सबके बावजूद रहस्य बना हुआ है।

यह रहस्य इसलिए ज्यादा गहराया क्योंकि पहले ही दिन खुलकर कार्रवाई की बात करने वाले भाजपा के कुछ नेताओं ने दूसरे दिन से चुप्पी साध ली थी। ऐसे में प्रधानमंत्री की जन रैली पर नजरें टिकनी स्वाभाविक हैं।

गौरतलब है कि वह शनिवार को कोझीकोड में रैली के साथ ही परिषद की शुरुआत करेंगे। रविवार को राष्ट्रीय परिषद का समापन संबोधन भी प्रधानमंत्री ही देंगे। माना जा रहा है कि परिषद में अमित शाह और मोदी की ओर से उड़ी मामले में पार्टी नेताओं की जिज्ञासा समाप्त करने की कोशिश हो सकती है।

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राजनीतिक तौर पर भाजपा के लिए केरल इसलिए अहम है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी पहली बार विधानसभा में खाता खोलने में सफल हुई है। पं.दीनदयाल के साथ काम कर चुके ओ.राजगोपाल भाजपा के विधायक चुने गए हैं और पार्टी को आशा है कि लोकसभा चुनाव तक यहां के संसदीय क्षेत्र में भी पैठ बनाई जा सकती है।

वैसे एक रोचक तथ्य यह है कि इसी कोझीकोड से ही वामदल के साथ दोस्ती का फैसला लिया था। 1967 में जनसंघ का अध्यक्ष चुने जाने के बाद दीनदयाल ने ही राजनीतिक अस्पृश्यता का विरोध करते हुए इसे सामाजिक अस्पृश्यता करार दिया था। बताते हैं कि उनके फैसले के अनुरूप ही बिहार में सीपीआई के साथ मुद्दों पर आधारित गठबंधन का रास्ता साफ हुआ था। केरल में उसी वाम से भाजपा की लड़ाई है।

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