Vijay Diwas: सिर्फ 14 दिनों में पाकिस्तान को टेकने पड़े थे घुटने, PM मोदी ने जवानों को किया याद
विजय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत आज 47वां विजय दिवस मना रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ 1971 का युद्ध हमने आज ही के दिन जीता था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजय दिवस के मौके पर युद्ध में शहीद हुए सेवा के जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'विजय दिवस के अवसर पर, 1971 के युद्ध में देश की और मानवीय स्वतंत्रता के सार्वभौमिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए अपनी सशस्त्र सेनाओं को हम कृतज्ञता के साथ याद करते हैं। विशेषकर उस साहसिक अभियान में बलिदान हो गए सैनिकों के प्रति हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शहीदों को याद करते हुए ट्वीट किया, 'आज विजय दिवस के मौके पर हम 1971 के युद्ध में अदम्य साहस के साथ लड़े अपने बहादुर जवानों को याद करते हैं। उनके अटल पराक्रम और देशप्रेम की वजह से देश सुरक्षित है।'
विजय दिवस के मौके पर आज रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी ।
विजय दिवस 16 दिसंबर को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के कारण मनाया जाता है। साल 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक और हर देशवासी के दिल में उमंग पैदा करने वाला साबित हुआ। बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 1971 में हुआ था, इसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहते हैं। यह युद्ध 1971 में 25 मार्च से 16 दिसंबर तक चला था। इस रक्तरंजित युद्ध के माध्यम से बांलादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की। पाकिस्तान पर यह जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी। भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
महज 14 दिनों में जीत लिए गए इस युद्ध ने भूगोल और इतिहास को नए सिरे से गढ़ डाला। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को चित कर देने के बाद भारतीय योद्धाओं ने अबके उसकी टेढ़ी पूंछ को काफी हद तक सीधा कर दिखाया था। उस युद्ध में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट भाग लेने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल गगन दीप बख्शी बताते हैं, 'हमने मात्र 14 दिन में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए ही मजबूर कर दिया था।
उन्होंने बताया, '1971 के दिसंबर माह में मेरे बैच को पास आउट होना था, लेकिन देश पर खतरा देख बैच को नवंबर में ही पास आउट कर दिया गया। पासिंग आउट परेड के तुरंत बाद ही मुझे युद्ध के लिए भेज दिया गया। यह मेरे लिए विशेष अनुभूति वाला क्षण था। कई नदियां और नाले पार करके हमने सेना के साथ काफी दूर तक पैदल ही सफर तय किया। 1971 का युद्ध सैन्य इतिहास की सबसे शानदार विजय थी। पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाजी के अहंकार को हमने नेस्तनाबूद कर दिया था। जनरल नियाजी कहता था की एक-एक पाकिस्तानी सैनिक एक-एक हजार भारतीय सैनिकों के बराबर है।'