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पाक पीएम इमरान खान के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है सऊदी अरब की नाराजगी- एक्‍सपर्ट व्‍यू

शाह महमूद कुरैशी ने जो बयान ओआईसी को लेकर दिया है उसके भविष्‍य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सऊदी अरब की नाराजगी को पाकिस्‍तान की जनता पसंद नहीं करेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 05:16 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 09:16 AM (IST)
पाक पीएम इमरान खान के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है सऊदी अरब की नाराजगी- एक्‍सपर्ट व्‍यू
पाक पीएम इमरान खान के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है सऊदी अरब की नाराजगी- एक्‍सपर्ट व्‍यू

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्‍लामिक सहयोग संगठन के बहाने जो निशाना सऊदी अरब समेत अरब जगत के दूसरे देशों पर साधा है उसका मसला इतना जल्‍द शांत नहीं होने वाला नहीं है। पाकिस्‍तान में निवेश से लेकर उसको कर्ज देने तक में सऊदी अरब और यूएई दोनों हमेशा आगे रहे हैं। यही वजह है कि वहां की अर्थव्‍यवस्‍था में इन दोनों देशों का एक अहम रोल रहा है। ऐसे में कुरैशी का बयान पूरे अरब जगत और ओआईसी के अस्तित्‍व पर क्‍या असर डालेगा ये एक बड़ा सवाल है। जानकार मानते हैं कि ये मुद्दा न सिर्फ कुरैशी बल्कि इमरान खान की कुर्सी के लिए भी खतरा बन सकता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुरैशी फिलहाल चीन के एक दिवसीय दौरे पर गए हुए हैं। उन्‍होंने इस दौरे को बेहद खास बताया है।कुरैशी के इस दौरे को उनके बयानों से उपजे संकट के बाद चीन से मदद के तौर पर भी देखा जा रहा है। 

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कुरैशी का बयान 

गौरतलब है कि कुरैशी ने पिछले दिनों सऊदी अरब के नेतृत्व वाले संगठन 'इस्लामिक सहयोग संगठन' (ओआईसी) को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि वो कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कड़ा रुख नही अपना रहा है। यदि इस मुद्दे पर वो हस्तक्षेप नहीं करते हैं, तो वो पीएम इमरान खान के नेतृत्व में उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने को मजबूर होंगे जो इस मुद्दे पर पाकिस्‍तान का साथ दे रहे हैं। कुरैशी के इसी बयान ने सऊदी अरब को नाराज किया है। 

सऊदी से नाराजगी के गंभीर होंगे नतीजे

पाकिस्‍तान समेत मिडिल ईस्‍ट की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्‍ठ पत्रकार कमर आगा मानते हैं कि ये मसला जल्‍द नहीं सुलझने वाला है। उनकी निगाह में कुरैशी के बयान के बाद सऊदी अरब को मना पाना काफी मुश्किल है। आगा की निगाह में कुरैशी का इस बयान के बाद अपने पद पर भी लंबे समय तक बने रहना काफी मुश्किल है। कुरैशी का बयान सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि इमरान के लिए भी मुश्किल का सबब बन सकता है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि कुरैशी अपनी तरफ से इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते हैं। इसके पीछे कहीं न कहीं इमरान खान शामिल हैं। लिहाजा इसके नतीजे आगे तक जाएंगे।

सऊदी अरब को है पाकिस्‍तान के कट्टरपंथियों का समर्थन 

आगा के मुताबिक पाकिस्‍तान में मौजूद कट्टरपंथी विचारधारा, जमात ए इस्‍लामी और वहाबी मूवमेंट समेत वहां  के हजारों मदरसों के लिए फंडिंग सऊदी अरब से होती है। सऊदी अरब की नाराजगी का अर्थ इनसे जुड़े लोगों को नाराज करना है। हालांकि, ये लोग पहले भी इमरान खान से खुश नहीं थे। उन्‍होंने इमरान खान को इसलिए अपना नेता माना था, क्‍योंकि आर्मी ने उन्‍हें वहां पर बिठाया था। सऊदी अरब के मामले में ये लोग नहीं मानेंगे।

सऊदी अरब की नीतियों में बदलाव

आगा का कहना है कि सऊदी अरब धीरे-धीरे अपनी नीतियों में बड़े बदलाव कर रहा है। सऊदी अरब अब अपने शासन और रॉयल परिवार की सुरक्षा में लगी पाकिस्‍तान की सेना को हटाकर मिस्र और सूडान की सेना को लगा रहा है। आपको बता दें कि सऊदी अरब की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी बाहरी तौर पर अमेरिका के हवाले है। इसके अलावा मौजूदा दौर में सऊदी अरब की अर्थव्‍यवस्‍था खुद काफी खराब है ऐसे में वो भी लंबे समय तक पाकिस्‍तान का साथ देने के हक में नहीं है। वहीं, पाकिस्‍तान को अब सऊदी अरब और यूएई की तुलना में ईरान और चीन पर ज्‍यादा भरोसा है। उनके मुताबिक, वहां की सेना चीन को पाकिस्‍तान की भारत से सुरक्षा की गारंटी मानती है। इसके अलावा वित्‍तीय मदद के लिए भी अब पाकिस्‍तान चीन पर ज्‍यादा निर्भर है। पाकिस्‍तान की सेना भी चीन के साथ आगे बढ़ने को तैयार है, लेकिन पाकिस्‍तान के अंदरूनी हालात और कट्टरपंथी ताकतें सऊदी अरब की समर्थक हैं। ऐसे में ये मसला अभी और गरमाएगा। 

पाकिस्‍तान ने दिया है धोखा 

आगा के मुताबिक पाकिस्‍तान ने सऊदी अरब को कई बार धोखा देने का काम किया है। अफगानिस्‍तान शांति वार्ता में सऊदी अरब को बाहर रख कतर को जोड़ा गया। चीन से पाकिस्‍तान बीते कुछ समय से ईरान से अपने संबंधों को नए आयाम दे रहा है। ईरान और चीन के साथ मिलकर पाकिस्‍तान एक नए गठबंधन की नींव रखने का भी काम कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब और ईरान में छत्‍तीस का आंकड़ा है। दूसरी तरफ सऊदी इस बात को मानता है कि पाकिस्‍तान जिया उल हक के समय से ही आईआईसी का खास सदस्‍य होने के साथ-साथ दक्षिण एशिया में भी एक अहम भूमिका अदा करता है।

तुर्की हथियाना चाहता है लीडरशिप 

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा ओआईसी पर उठाए गए सवालों के बाद भविष्‍य में इसकी भूमिका पर आगा ने कहा कि तुर्की काफी समय इस्‍लामिक देशों के संगठन का सदस्‍य बनने और इसकी लीडरशिप को हासिल करने का प्रयास कर रहा है। वहीं, सऊदी अरब की तुर्की से वर्षों पुरानी नाराजगी रही है। इसकी वजह अरब जगत पर वर्षों तक उसकी बादशाहत रही है। तुर्की की बादशाहत को कम करने में सऊदी अरब की अहम भूमिका रही है। सऊदी अरब नहीं चाहता है कि तुर्की उस पुराने रुतबे पर दोबारा काबिज हो सके। 

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