पीएम आवास नहीं पीएम कालोनी कहिए जनाब, सपेरों को पक्के मकान देने के लिए नियम बदले
झोपड़ी से निकलकर सपेरों का परिवार अब पक्के मकान में रह रहे हैं और अपना जीवन सुधार रहे हैं। सपेरों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के कड़े नियमों में बदलाव कर अनूठा कदम उठाया गया है।
राधाकिशन शर्मा/बिलासपुर। जिले के कोटा ब्लाक के करगीकला में सपेरों की बस्ती है। उनके जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के कड़े नियमों में बदलाव कर अनूठा कदम उठाया गया है। इनके पास कभी रहने को ना छत थी ना जीविकोपार्जन के लिए खेती। तीन पीढ़ियों से सपेरों का 40 परिवार सरकारी जमीन पर झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। दो साल पहले इनकी बस्ती में तत्कालीन कलेक्टर के अचानक कदम पड़ गए और इसके बाद इनके लिए पक्के मकान का इंतजाम हो गया।
सपेरों के लिए आवास योजना में बदलाव
जिला प्रशासन के निर्देश पर जिला पंचायत ने दो साल पूर्व सपेरों के लिए आवास की योजना बनाई थी, लेकिन खुद की जमीन की अनिवार्यता के केंद्र सरकार के नियम आड़े आए। इसके बाद भी केंद्रीय आवास मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया और पहली बार उस कड़े नियम को शिथिल कर दिया। नियम बदले जाने से सपेरों के भाग्य ही खुल गए।
सरकारी जमीन पर सपेरों के लिए कालोनी का निर्माण
जिला पंचायत ने सरकारी जमीन पर इनके लिए कालोनी का निर्माण किया है। मुख्य मार्ग से लगी हुई इनकी कालोनी को एकबारगी देखने से यह नहीं लगता कि यहां पीढ़ी-दर-पीढ़ी बारिश, पानी और ठंड में झोपड़ी में जीवन गुजारने वाले सपेरों का परिवार निवास कर रहा होगा। कालोनी के सामने 40 फीट की कांक्रीट की सड़क, घरों में एकल बत्ती कनेक्शन, पीने के लिए घरों में नल की व्यवस्था। रसोई में पीएम उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
विजन 2020 के तहत विकास कार्य
आइएएस पी. दयानंद वर्तमान में पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बिलासपुर जिले में कलेक्टर के पद पर कार्य करते हुए विजन 2020 ने बनाया था। इसके हिसाब से ही जिले में विभिन्न विकास कार्य हो रहे हैं।
बेघरबारों को आशियाना मिला तो मिली संतुष्टि: दयानंद
तत्कालीन कलेक्टर पी. दयानंद ने बताया कि सपेरों को पक्का मकान दिलाने का संकल्प मन ही मन ले लिया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिलाने के लिए कोशिश शुरू की। पत्राचार से बात बन गई। इस बात की खुशी है कि झोपड़ी से निकलकर सपेरों का परिवार अब पक्के मकान में रह रहे हैं और अपना जीवन सुधार रहे हैं।