धारा 375 की वैधता के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए बिंदु विधायिका से संबंधित हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 375 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। दुष्कर्म को विवरण करने वाली इस धारा में लिंग निरपेक्षता का प्रावधान नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए बिंदु विधायिका से संबंधित हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता को विधायिका के समक्ष अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र करते हुए कहा, 'यह मामला संसद से संबंधित है। हम इस पर अभी कुछ नहीं कहना चाहते।'
धारा 375 पुरुष द्वारा महिला के साथ किए गए दुष्कर्म के अपराध से संबंधित है, जबकि धारा 376 के तहत मामला सजा के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका गैर सरकारी संगठन क्रिमिनल जस्टिस ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता आशिमा मंडला ने दाखिल की थी। इसमें कहा गया था कि धारा 375 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 21 का उल्लंघन है। यह पुरुष व किन्नरों को पीडि़त नहीं मानता।