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बकरीद में छूट पर केरल सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, खतरे में नहीं डाल सकते लोगों का जीवन

केरल में बकरीद पर कोरोना लाकडाउन में तीन दिन की छूट दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। शीर्ष अदालत ने केरल सरकार को तत्काल जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 08:57 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 11:40 AM (IST)
बकरीद में छूट पर केरल सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, खतरे में नहीं डाल सकते लोगों का जीवन
बकरीद के लिए केरल सरकार द्वारा लॉकडाउन में ढील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बकरीद के अवसर पर लाकडाउन से संबंधित प्रतिबंधों में ढील दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह चौंकाने वाली स्थिति है कि केरल सरकार ने लॉकडाउन मानदंडों में ढील देने में व्यापारियों की मांग को मान लिया है। केरल सरकार ने बकरीद के मद्देनजर लॉकडाउन प्रतिबंधों में तीन दिनों के लिए छूट देने का ऐलान किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को आदेश दिया कि वह उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मामले में दिए गए कोर्ट के आदेश का पालन करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी प्रेशर ग्रुप या धार्मिक समूह को लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। केरल सरकार ने आगामी बकरीद त्योहार को ध्यान में रखते हुए 18, 19 और 20 जुलाई को लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की है।

कांवड़ यात्रा पर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहलेसे लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में दिल्ली निवासी पीकेडी नांबियार ने हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना काल में यात्रा पर शीर्ष अदालत द्वारा जताए गए असंतोष के बावजूद, केरल सरकार कोविड-19 के मानदंडों में ढील देकर लापरवाही बरत रही है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह शीर्ष अदालत में पेश होंगे। नांबियार ने तर्क दिया कि केरल में कोविड मामलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में त्योहार के लिए मंजूरी देना खतरनाक हो सकता है।

याचिका में कहा गया है, 'यह चौंकाने वाला है कि एक चिकित्सा आपात स्थिति में राज्य सरकार इस तरह के उपायों के माध्यम से नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार का यह कदम इस अदालत द्वारा पारित 16 जुलाई के आदेश का पूरी तरह से उल्लंघन है।' 16 जुलाई को शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर कांवड़ यात्रा पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था।


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