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स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण की मांग अनुचित, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकते

सुप्रीम कोर्ट ने देश में कोरोना महामारी के दौरान देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के लिए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 11:01 PM (IST)
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण की मांग अनुचित, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकते
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण की मांग अनुचित, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकते

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश में कोरोना महामारी के दौरान देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के लिए दायर जनहित याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस रवीन्द्र भट की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की और कहा कि न्यायालय इस तरह का निर्देश नहीं दे सकता है। पीठ ने याचिका में की गयी पहली प्रार्थना को मिथ्या धारणा पर आधारित बताया और कहा कि ऐसा कोई भी निर्देश नहीं दिया जा सकता है।

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पीठ ने कहा कि याचिका में की गयी पहली प्रार्थना खारिज की जाती है। कोरोना वायरस के मरीजों की मुफ्त जांच और उपचार का निर्देश देने संबंधी प्रार्थना के बारे में पीठ ने कहा कि इस बारे में पहले ही एक याचिका पर विचार किया जा चुका है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि इस याचिका को पहले से ही लंबित मामले के साथ संलग्न कर दिया जाये।

सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक वकील द्वारा दायर इस याचिका का विरोध किया और कहा कि सरकार ने पहले ही अपने सभी नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाये हैं। पीठ ने कहा कि कोर्ट सरकार को ऐसा निर्णय लेने के लिए नहीं कह सकता। हम सरकार को अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण करने के लिए नहीं कह सकते। सरकार पहले ही कुछ अस्पतालों को अपने हाथ में ले चुकी है। सरकार इस सबंध में आवश्यक कदम उठा रही है।

उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोना वायरस के ही मसले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई की। कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के चलते विभिन्न देशों में फंसे भारतीयों से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वे जहां हैं, वहीं रहें। इस संबंध में याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि विदेश में लाखों भारतीय हैं। इनमें से अभी लोगों को चुन-चुनकर वापस लाना व्यावहारिक नहीं है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटेन व खाड़ी देशों समेत विदेश में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की। 


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