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किसान नेता की हत्या की साजिश रचनेवाले बेल्जियम व ब्रिटेन के खालिस्तानी आतंकी: खुफिया एजेंसी

दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं को निशाने पर लेकर वैश्विक साजिश हो रही है जिसके पीछे खालिस्तान कमांडो फोर्स का हाथ है। रॉ व अन्य खुफिया एजेंसियों ने KCF की ऐसी साजिशों के बारे में जानकारी दी।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 02:16 PM (IST)
किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानी आतंकी संगठन की भूमिका

नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं को निशाने पर लेकर वैश्विक साजिश हो रही है जिसके पीछे खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) का हाथ है। रॉ व अन्य खुफिया एजेंसियों ने KCF की ऐसी साजिशों के बारे में जानकारी दी। खुफिया एजेंसियों ने बताया कि KCF ने दिल्‍ली की सीमा पर जारी किसान आंदोलन के नेताओं को निशाना बनाने की साजिश बनाई है। केंद्र सरकार की दो खुफिया एजेंसियों- R&AW और इंटेलिजेंस ब्‍यूरो (IB) ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसका कहना है कि प्लान का निशाना वह किसान नेता है जो पहले पंजाब से KCF कैडर को निपटाने में शामिल रहा है।

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कुछ दिनों पहले एक ऐसे ही एक मामले पर खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के अनुसार ये साजिश रचने वाले बेल्जियम व ब्रिटेन से हैं जो ऐसा प्लान बना रहे हैं जिससे दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं को हटाया जा सके।   KCF ने सोचा था कि 'इस वक्‍त किसान नेता की हत्‍या से भारत में हिंसा बढ़ेगी और इसका आरोप भी सरकारी एजेंसियों या एक राजनीतिक पार्टी पर फोड़ा जाएगा।' KCF एक आतंकी संगठन है जो भारत में होने वाले अनेकों हत्या मामले में शामिल है। इस आतंकी संगठन में विभिन्न देशों- कनाडा (Canada), ब्रिटेन  (United Kingdom), बेल्जियम (Belgium) और पाकिस्तान (Pakistan) के लोग शामिल हैं। 

बता दें कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली से पहले भी खुफिया एजेंसियों ने सरकार को आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि  बाहरी तत्व इस आंदोलन पर कब्जा जमा सकते हैं और हिंसा भड़का सकते हैं। इसके बाद भी सरकार ने किसानों को ट्रैक्टर रैली की इजाजत इसलिए दी थी कि यह उनका लोकतांत्रिक हक है।  ऐसा हुआ भी 26 जनवरी की किसानों की रैली में हुई  हिंसा में पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थकों की भूमिका सामने आई। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान प्रायोजित अराजक तत्व और खालिस्तानियों से सहानुभूति रखने वाले लोग किसान आंदोलन में बेहद सक्रिय हैं और माहौल खराब करने की फिराक में हैं। 


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