बाघों के लिए बनेंगे और नए ठिकानेे, कम टाइगर रिजर्व व आबादी वाले राज्यों में होगा प्रबंध
दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ अकेले भारत में पाए जाते हैं। फिलहाल देश में कुल 51 टाइगर रिजर्व हैं जिनमें उपलब्ध बाघों की संख्या करीब तीन हजार है। सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश कर्नाटक और उत्तराखंड आदि में पाए जाते हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश में बाघों की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए उनके लिए नए ठिकानों के निर्माण की योजना ने अब रफ्तार पकड़ ली है। योजना के तहत उन राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां फिलहाल टाइगर रिजर्व की संख्या व बाघों की आबादी कम है। राज्यों से प्रमुख अभयारण्यों की जानकारी मांगी गई है। इनमें से जो भी बाघों के लिए उपयुक्त पाए जाएंगे, उन्हें आनेवाले दिनों में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया जाएगा।
दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ अकेले भारत में पाए जाते हैं। फिलहाल, देश में कुल 51 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें उपलब्ध बाघों की संख्या करीब तीन हजार है। सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड आदि में पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़, ओडि़शा, बिहार, राजस्थान और पूर्वोत्तर के राज्यों में इनकी आबादी कम है।
गुरु घासीदास पार्क व कैमूर अभयारण्य पर बढ़ी बात
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, बाघों के नए ठिकानों के विकास की योजना को आगे बढ़ाते हुए इसी साल पांच अभयारण्यों को टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया जाएगा। राज्यों को इस संबंध में प्रस्ताव दे दिया गया है। फिलहाल, छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास नेशनल पार्क, राजस्थान के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य, कर्नाटक के एमएम हिल अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई है। बिहार के कैमूर वन्यजीव अभयारण्य व अरुणाचल प्रदेश के दिबांग वन्यजीव अभयारण्य को भी टाइगर रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
सुरक्षा व भोजन की व्यवस्था होने पर नए घरों में भेजे जाएंगे बाघ
मंत्रालय के मुताबिक, नए अभयारण्यों में सुरक्षा और पर्याप्त भोजन का बंदोबस्त होते ही उनमें बाघों के कुनबे को शिफ्ट कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में कई ऐसे अभयारण्य हैं, जहां बाघों की संख्या तय क्षमता से ज्यादा हो गई है। अभी स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन जिस रफ्तार से बाघों की आबादी बढ़ रही है उसमें इन्हें दूसरे अभयारण्यों में भेजना ही होगा। ऐसा नहीं होने पर बाघ मानव बस्तियों पर हमला कर सकते हैं।