उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि प्रकाशित नहीं करने वाले राजनैतिक दल की रद हो मान्यता, सुप्रीम कोर्ट से गुहार
याचिका में कहा गया है कि चुनाव में उम्मीदवार तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सपा ने उल्लंघन किया है और इसके लिए उसकी मान्यता खत्म की जाए। यूपी के कैराना से नाहिद हसन को उतारकर सपा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि अखबार और वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाने और राजनैतिक दलों द्वारा आपराधिक छवि के व्यक्ति को टिकट किए जाने का कारण बताने के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है। याचिका में समाजवादी पार्टी द्वारा कैराना से गैंगेस्टर एक्ट सहित कई मामलों में आरोपी नाहिद हसन को टिकट दिए जाने को आधार बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि राजनैतिक दल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 48 घंटे के अंदर उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरा प्रकाशित नहीं किया है जो कि आदेश का उल्लंघन है। मांग की गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह कोर्ट के आदेश का पालन न करने वाले राजनैतिक दल की मान्यता रद करे।
याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ऐसे कदम उठाए जिससे सुनिश्चित हो कि प्रत्येक राजनैतिक दल उम्मीदवार का चयन करने के 48 घंटे के भीतर उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरा प्रकाशित करे साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देने और गैर आपराधिक छवि के व्यक्ति को प्रत्याशी न बनाए जाने का कारण बताये।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को यह याचिका वकील और भाजपा प्रवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।
याचिकाकर्ता की ओर से मंगलवार को मामले पर जल्द सुनवाई करने की मांग किये जाने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक छवि के लोगों को राजनीति से दूर रखने और मतदाता को उम्मीदवार के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 25 सितंबर 2018 और 13 फरवरी 2020 को आदेश दिया था कि उम्मीदवार घोषित करने के 48 घंटे के भीतर राजनैतिक दल उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरा पार्टी की वेबसाइट पर प्रकाशित करेंगी।
यही नहीं उक्त ब्योरा अखबार और इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया में भी प्रकाशित किया जाएगा साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देने और गैर आपराधिक छवि के व्यक्ति को टिकट न देने का कारण बताएंगी।
दाखिल याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त दोनों आदेशों का अनुपालन सुनिश्चति कराए। यही नहीं याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले राजनैतिक दल के अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की जाए। याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी जो कि पंजीकृत मान्यता प्राप्त दल है जिसने गत 13 जनवरी को गैंगेस्टर एक्ट सहित कई आपराधिक मामलों में आरोपी नाहिद हसन को कैराना से उम्मीदवार घोषित किया।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के 23 सितंबर 2018 और 13 फरवरी 2020 के आदेश के मुताबिक नाहिद हसन के चयन के 48 घंटे के भीतर न तो उसका आपराधिक ब्योरा वेबसाइट, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया और न ही ऐसे उम्मीदवार का चयन करने का कारण ही बताया।
याचिका में कहा गया है कि यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मान्यताप्राप्त दल अपराधियों को टिकट दे रहे हैं ऐसे में मतदाताओं को लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से वोट देना मुश्किल होगा। अपराधियों को चुनाव लड़ने और विधायक बनने की अनुमति देने के गंभीर परिणाम होंगे।