कमाल के Fine Arts Teacher , पैरों से बनाते हैं पेंटिंग; बच्चों को साइन लैंग्वेज में दे रहे शिक्षा
छत्तीसगढ़ में भिलाई के रहने वाले गौकरण पाटिल पैरों से पेटिंग करते हैं और पैरों की ही उंगलियों से कंप्यूटर पर टाइपिंग भी करते हैं। वह जन्म से दिव्यांग हैं।
राजेश निषाद, रायपुर। वह जन्म से दिव्यांग हैं। उनके दोनों हाथ नहीं हैं, बोल और सुन भी नहीं सकते, लेकिन उनमें इससे लड़ने और आजादी पाने का जज्बा है। अपने हौसलों से वह खुद के पैरों पर खड़े हैं। वह किसी भी काम के लिए दूसरों के मोहताज नहीं हैं। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ में भिलाई के रहने वाले गौकरण पाटिल की, जो पैरों से पेटिंग करते हैं और पैरों की ही उंगलियों से कंप्यूटर पर टाइपिंग भी। आज समाज के लिए मिसाल बने गौकरण दिव्यांग बच्चों को फाइन आर्टस की गुर सिखा रहे हैं, वह भी पैरों के इसारे पर। रायपुर का कोपलवाणी दिव्यांग बच्चों का स्कूल है। यहां तकरीबन 150 बच्चे पढ़ते हैं। वह तीन माह से यहां के बच्चों को फाइन आर्ट सिखा रहे हैं।
पैरों से साइन लैंग्वेज में बच्चों से बात करते हैं। गौकरण साइन लैंग्वेज में बताते हैं कि उन्होंने बचपन से लेकर अब-तक केवल संघर्ष किया। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किसी का मोहताज न बनें इसलिए उन्होंने 12 वीं के बाद उत्तर प्रदेश के चित्रकुट स्थित कॉलेज में बैचलर ऑफ फाइन आर्टस की पढ़ाई की। इसके बाद भिलाई स्थित एक सेंटर से कम्प्यूटर का ज्ञान लिया।
बचपन में पिता की मौत हो गई थी
गौकरण ने कई पेंटिंग बनाई है। एक रूम पेंटिंग से भरा हुआ है। स्कूल की प्राचार्य पद्मा शर्मा कहती हैं कि स्कूल में तीन और ऐसे ही शिक्षक हैं जो दिव्यांग हैं। सभी बच्चों को साइन भाषा से शिक्षा देते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में पिता की मौत हो गई थी। घर में एक भाई और एक बहन हैं। पिता के निधन के बाद से उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें अब अपने बूते पर खड़ा होना है, कुछ करना है। इसके बाद उन्होंने पेंटिंग को अपने जीवन का आधार बनाया और आज लोग उन्हें उनकी कला के चलते पहचानने लगे हैं।
कभी हार नहीं मानी
गौकरण बताते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार की तालाश में भटकते हुए शहर पहुंचे। किसी तरह एक दुकान में काम मिला, जहां कंप्यूटर पर काम करना था। साल भर काम करने के बावजूद दिव्यांगता के कारण उन्हें मेहनताना नहीं मिला। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। उन्हें इस तरह के कई अनुभव मिल चुके हैं। वे कहते हैं कि कई जगहों पर लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। वक्त जरूर बदलता है। शायद यही वजह है कि लोग अब उन्हें उनकी पेंटिंग से जानते हैं। इतना ही नहीं कई लोग उनसे पेंटिंग सिखना चाहते हैं। उन्हें कभी-कभी खुद पर गर्व होता है।
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