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तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट करेगा सुनवाई

पत्रकार तरुण तेजपाल को साल 2013 के दुष्‍कर्म के मामले में बरी किए जाने के अदालत के फैसले के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ सुनवाई करेगी। अदालत ने सुनवाई 29 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 04:49 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 05:14 PM (IST)
तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के अदालत के फैसले के खिलाफ बॉम्‍बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ सुनवाई करेगी।

पणजी, पीटीआइ। पत्रकार तरुण तेजपाल को साल 2013 के दुष्‍कर्म के मामले में बरी किए जाने के अदालत के फैसले के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ सुनवाई करेगी। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक अदालत ने सुनवाई 29 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है। न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति एएस जवालकर की खंडपीठ ने गोवा सरकार को उनकी अपील में संशोधन करने का मौका देते हुए उसकी एक प्रति के साथ सभी संबंधित दस्तावेज तेजपाल को देने को कहा। 

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तेजपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। सिब्‍बल ने अदालत से कहा कि हमें तैयारी करने में थोड़ा समय लगेगा। इस पर अदालत ने कहा कि वह 29 जुलाई को अपील पर सुनवाई करेगी। अदालत ने सरकार को एक हफ्ते में याचिका में सुधार करने और उसके बाद एक उसकी एक प्रति देने का निर्देश दिया। मालूम हो कि गोवा की एक सत्र अदालत ने 21 मई को तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तेजपाल को यौन उत्पीड़न मामले में बरी कर दिया था।

तेजपाल पर साल 2013 में गोवा के एक पांच-सितारा होटल की लिफ्ट में महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। बीते दिनों बॉम्‍बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने तेजपाल मामले में सत्र न्यायालय के फैसले पर कठोर टिप्पणी की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र अदालत का फैसला दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए एक नियम पुस्तिका जैसा है। इसमें यह बताया गया है कि किसी पीड़िता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

बीते दिनों गोवा सरकार का पक्ष रख रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सत्र अदालत के 527 पन्नों के फैसले के कुछ हिस्सों को पढ़ा। इसमें पीड़िता के व्यवहार (कथित घटना के दौरान और बाद में) का जिक्र किया गया है।इस पर अदालत का कहना था कि यह पहली नजर में रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने का लगता है। 


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