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Phone Tapping case: बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार के आवास पर CBI का छापा

बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार के सरकारी आवास पर सीबीआई की टीम ने छापा मारा है। बताया जा रहा है कि यह छापेमारी फोन टैपिंग केस में हुई।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 10:50 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 11:28 AM (IST)
Phone Tapping case: बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार के आवास पर CBI का छापा
Phone Tapping case: बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार के आवास पर CBI का छापा

बेंगलुरु, एएनआइ। बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार के  के सरकारी आवास पर सीबीआई की टीम ने छापा मारा है। बताया जा रहा है कि यह छापेमारी फोन टैपिंग केस में हुई। आलोक इस समय कर्नाटक रिजर्व पुलिस के एडीजीपी पद पर तैनात हैं।

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कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा सरकार के एक अनुरोध के बाद पिछले साल अगस्त में सीबीआई द्वारा एक एफआइआर दर्ज की गई थी। यह फोन टैपिंग विवाद तब सामने आया जब एक कथित फोन पर बातचीत को मीडिया में लीक कर दिया गया, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी का नाम था। कथित तौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और जद (एस) के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री एचडी रेवन्ना के नाम भी लीक फोन टेप में पाए गए थे।

एचडी कुमारस्वामी सरकार पर आरोप

बता दें कि कर्नाटक की पूर्व एचडी कुमारस्वामी सरकार पर कई विधायकों द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री और जेडीएस के नेता अपने सहयोगियों के फोन टैप कर रहे थे। यह फोन टैपिंग विवाद चुनाव के दौरान तब सामने आया जब एक कथित फोन पर उस बातचीत को मीडिया में लीक कर दिया गया, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी का नाम था।

पिछले महीने सीबीआई को मामला सौंपा गया

सीबीआई ने अज्ञात सरकारी कर्मचारी और निजी व्यक्तियों के खिलाफ कर्नाटक सरकार के अनुरोध पर एफआइआर दर्ज की है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने पिछले महीने कथित फोन टैपिंग मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। उन्होंने ये कदम जेडीएस के विधायक ए एच विश्वनाथ ने अयोग्य ठहराए जाने के बाद एच डी कुमारस्वामी की सरकार पर फोन टैप करने और उनके समेत 300 से अधिक नेताओं की जासूसी कराने के आरोप लगाने पर उठाए थे।

कुमारस्वामी ने सभी आरोपों से किया इनकार

हालांकि, कुमारस्वामी ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा कि वह कथित फोन टैपिंग मामले की किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। सीबीआई से पहले, इस मामले की जांच इंडियन टेक्नॉलजी एक्ट 2000 के तहत धारा 72 और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 की धारा 26 के तहत बेंगलुरु के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन द्वारा की जा रही थी। 


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