विदेश से पीएचडी करने वालों को बिना नेट पास किए मिलेगी विश्वविद्यालय में नियुक्ति
फैकेल्टी की कमी से जूझ रहे भारतीय विश्वविद्यालय और कालेजों ने विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वालों को लुभाने की बड़ी पहल की है।
जागरण ब्यूरो, नईदिल्ली। फैकेल्टी की कमी से जूझ रहे भारतीय विश्वविद्यालय और कालेजों ने विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वालों को लुभाने की बड़ी पहल की है। इसके तहत उन्हें भारतीय विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए नेट पास करना जरूरी नहीं होगा। सहायक प्राध्यापक के पद पर उन्हें कुछ शर्तो के साथ ही सीधी नियुक्ति मिल सकेगी। अभी सहायक प्राध्यापकों के पद के लिए ऐसी राहत भारतीय विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वालों को ही कुछ शर्तो के साथ मिलती है।
-सहायक प्राध्यापक के पद पर होने वाली नियुक्तियों में शर्तो के साथ नेट की अनिवार्यता से दी छूट
यूजीसी ने इसे लेकर अपनी सहमति दे दी है। साथ ही विश्वविद्यालयों और कालेजों से ऐसी नियुक्तियों के समय विदेशी विश्वविद्यालयों से मिली पीएचडी की डिग्री की प्रमाणिकता को जांचने के भी निर्देश दिए है। यूजीसी ने यह फैसला हाल ही में बुलाई गई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया है। यूजीसी ने इससे पहले इसे लेकर सभी विश्वविद्यालयों से सलाह मांगी थी। जिसमें ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने विदेशी विवि से पीएचडी करने को भी राहत देने के प्रस्ताव का समर्थन किया था।
गौरतलब है कि फैकेल्टी की कमी से जूझ रहे भारतीय विश्वविद्यालय और कालेजों के सामने मौजूदा समय में खाली पदों को भरने की एक बड़ी चुनौती है। देश भर के विवि और कालेजों में मौजूदा समय में फैकेल्टी के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली है। सरकार तमाम कोशिशों के बाद भी इस कमी को पूरा नहीं कर पा रही है।
भारतीय विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने में जुटी सरकार का मानना है कि इस तरह की कोशिशों से फैकेल्टी की कमी खत्म होगी, साथ ही संस्थानों को विदेशी में पढ़े-लिखे प्राध्यापक भी मिलेंगे। इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में बदलाव आएगा।