कोरोना जांच में वसूले 'अधिक शुल्क' की वापसी के लिए शीर्ष कोर्ट में याचिका
देशभर में आरटी-पीसीआर जांच का शुल्क एक समान 400 रुपये तय करने की मांग। एडवोकेट अजय अग्रवाल ने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की है कि देशभर में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए एक समान 400 रुपये की फीस तय की जाए जैसा कि ओडिशा सरकार ने किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना संक्रमण की आरटी-पीसीआर जांच के लिए देशभर में निजी लैब और अस्पतालों द्वारा वसूली गई 'अधिक फीस' की तत्काल वापसी का निर्देश देने की मांग को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई।
एडवोकेट अजय अग्रवाल ने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की है कि देशभर में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए एक समान 400 रुपये की फीस तय की जाए, जैसा कि ओडिशा सरकार ने किया है।
अग्रवाल ने इसके पहले भी शीर्ष अदालत में एक याचिका लगाई थी, जिसमें संदिग्ध मरीजों की आरटी-पीसीआर जांच के लिए देशभर में 400 रुपये का शुल्क निर्धारित करने का निर्देश देने की मांग की है। यह याचिका अभी लंबित है। इस पर प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की एक पीठ ने 26 नवंबर को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
पूर्व की याचिका में दावा किया गया कि देशभर में आरटी-पीसीआर जांच के लिए अलग-अलग शुल्क तय किए गए हैं, जबकि इसका वास्तविक खर्च महज 200 रुपये है। यह भी कहा गया कि विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली द्वारा 900 से 2800 रुपये तक का शुल्क तय किया गया है।
याचिका के मुताबिक, प्रयोगशालाओं ने लूट मचा रखी है और करोड़ों की कमाई की है। आंध्र प्रदेश में लाभ का मार्जिन 1,400 फीसद तथा दिल्ली में यह 1,200 फीसद है। यह मामला देश के 135 करोड़ लोगों से जुड़ा है, क्योंकि हर व्यक्ति कोरोना को लेकर चिंतित है और बहुत अधिक शुल्क पर जांच कराने को मजबूर हैं।