आर्मी के डॉक्टरों की कोरोना मरीजों के इलाज में ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
आर्मी के डाक्टरों की कोरोना मरीजों के इलाज में ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्मी के डॉक्टरों की कोरोना मरीजों के इलाज में ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। सेवानिवृत सैन्य अधिकारी मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईमेल के जरिये याचिका दाखिल कर मांग की है कि आर्मी के डॉक्टरों और नर्सो को कोरोना मरीजों के इलाज की सिविल ड्यूटी में लगाए जाने से सरकार को रोका जाए। कहा गया है कि चीन के साथ मौजूदा सीमा तनाव को देखते हुए सेना के डॉक्टरों की जरूरत सेना के लिए ज्यादा है।
सेना के डाक्टरों और नर्सो को कोरोना की सिविल ड्यूटी में लगाए जाने से रोके सुप्रीम कोर्ट
गुलेरिया की याचिका में सेना के डॉक्टरों और नर्सो को कोरोना की सिविल ड्यूटी में लगाए जाने से रोकने के साथ ही कहा गया है कि कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि वह कोरोना महामारी से निपटने के लिए सभी बेरोजगार डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को नियुक्त करे ताकि मौजूदा और भविष्य की मेडिकल जरूरत पूरी हो सके।
लद्दाख में चीन को घुसपैठ से रोकने में आइटीबीपी की नाकामी को रिकार्ड पर रखे
यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह मार्च 2020 से मई 2020 तक लद्दाख में चीन को घुसपैठ से रोकने में आइटीबीपी की नाकामी को रिकार्ड पर रखे। गुलेरिया का कहना है कि इस समय चीन के साथ सीमा पर तनाव है। हाल ही में देश ने लद्दाख में चीनी सेना के साथ झगड़े में अपने वीर 20 जवानों को खोया है और कई अन्य घायल हुए हैं।
सीमा पर तनाव के चलते आर्मी के डाक्टर और नर्सें जवानों के लिए ही रहना चाहिए
सीमा पर तनाव को देखते हुए और मौजूदा हालात में आर्मी के डाक्टर और नर्सें जवानों के लिए रहना चाहिए। बल्कि ऐसे मौकों पर सेना के लिए सिविल अस्पताल तैयार रखे जाते हैं जबकि यहां इसके विपरीत सेना के डाक्टरों और नर्सो को 20000 कोरोना मरीजों की देखभाल और इलाज में लगाए जाने का सरकार ने फैसला किया है जो कि ठीक नहीं है।