बस्तर: गांव में पुल का आभाव, जान जोखिम में डालकर लोग पार कर रहे नदी
बारिश के कारण कई नदियां उफान पर है। बस्तर के सुदूर गांव में लोग अपनी जिंदगी को ताक पर रखकर देगची के सहारे नदी पार करते है।
योगेन्द्र ठाकुर, दंतेवाड़ा। बस्तर के सुदूर गांव की आधी आबादी बारिश के दिनों में एक-दूसरे से कट जाती है। यहां के लोगों को एक दूसरे से मुलाकात के लिए 30-35 किमी का अतिरिक्त सफर करना होता है। पुल के अभाव में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करने के लिए मजबूर हैं। बीमार और बच्चों को देगची में बिठाकर तीन से चार लोग नदी पार कराते हैं। कई बार यहां नदी पार करते लोगों ने जान भी गंवाई हैं। पंचायत के बीच से बहने वाली डूमाम नदी पर एक पुल नहीं होने से लोगों को दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय आने के लिए बस्तर जिले से होकर गुजरना होता है। वहीं आधे गांव के लोगों को पंचायत मुख्यालय के 30-35 किमी का फेरा लगाना पड़ता है।
दंतेवाड़ा जनपद के तहत आने वाले ग्राम पंचायत पोंदूम की आबादी चार हजार से अधिक है। यह स्थानीय विधायक देवती कर्मा का गोद लिया गया गांव भी है। सात मोहल्लों में बंटे इस पंचायत की आधी आबादी डूमाम नदी के उस पार रहती है। इनमें बुरकापारा, कलमूपारा और हांदाखोदरा तो मानसून में पूरी तरह पंचायत मुख्यालय से कट जाते हैं। इन गांव के करीब दो हजार आबादी को राशन लेने के लिए भी 30-35 किमी कांवड़गांव से घूमकर आना पड़ता है।
जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए इन्हें पड़ोसी जिला बस्तर के बास्तानार पंचायत के बाद गीदम होते जाना मजबूरी है। जबकि पुल बनने के बाद यह दूरी नाम मात्र की रह जाएगी। ग्रामीणों की बात माने तो पुल बनने से आधा दर्जन से अधिक पंचायत के लोंगो को लाभ होगा। जगदलपुर के लिए सीधा रास्ता हो जाएगा। अभी जो सड़क तैयार हुई है वो सीधा बास्तानार को जोड़ देती है।
काम नहीं आई मोटरबोट
ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों की परेशानी प्रशासन नहीं जानता। शिविरों से लेकर जनप्रतिनिधि और अधिकारी तक ग्रामीण अपनी शिकायत लेकर हर साल पहुंचते हैं। इस साल भी सरपंच बुधराम और ग्रामीण जिला प्रशासन को आवेदन दे चुके हैं। पूर्व में कलेक्टर सौरभ कुमार ने यहां नदी पार करने और ग्रामीणों की सुविधा के लिए पंचायत को मोटरबोट सुलभ कराया था, लेकिन यह एक दिन भी नही चल पाया। क्योंकि जहां से लोग नदी पार करते हैं। वहां गहराई के साथ चट्टान हैं और पानी की रफ्तार भी काफी अधिक रहती है। इसलिए तकनीकि रूप से मोटरबोट का संचालन यहां उपयुक्त नही था। इसलिए यहां के मोटरबोट को हटा दिया गया है। ग्रामीणों की माने तो दी गई मोटरबोट बड़ी साइज की थी, यदि छोट मोटरबोट दी जाती तो शायद उनके काम आती।
दंतेवाड़ा की एसडीएम नूतन कंवर ने कहा कि पोंदूम पंचायत के आधे गांव डूमाम नदी से मानसून में कट जाते हैं। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इसकी जानकारी लेकर वहां के हालात को सुधारने की कोशिश की जाएगी। एक टीम भी गांव भेजकर वस्तुस्थिति का अवलोकन कराया जाएगा।