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लापरवाही : सामान्य बीमारी समझकर करा रहे इलाज, जांच में आ रहा कोरोना संक्रमण

कोरोना महामारी के छह माह बाद भी लोगों में जागरूकता दिखाई नहीं दे रही है। अब भी लोग कोरोना की जांच कराने से बच रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 07:52 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 07:52 PM (IST)
लापरवाही : सामान्य बीमारी समझकर करा रहे  इलाज, जांच में आ रहा कोरोना संक्रमण
लापरवाही : सामान्य बीमारी समझकर करा रहे इलाज, जांच में आ रहा कोरोना संक्रमण

विदिशा, जेएनएन। कोरोना महामारी के छह माह बाद भी लोगों में जागरूकता दिखाई नहीं दे रही है। अब भी लोग कोरोना की जांच कराने से बच रहे हैं। वे सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण होने के बावजूद सामान्य बीमारी समझकर निजी डॉक्टरों के पास इलाज कराते हैं। आराम नहीं होने पर जब वे कोरोना की जांच कर रहे हैं, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। मध्‍य प्रदेश के विदिशा जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि करीब 50 फीसद कोरोना मरीज ऐसे आ रहे हैं, जो पहले निजी डॉक्टरों के पास इलाज करा चुके होते हैं।

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जिले में पिछले माह से कोरोना की रफ्तार बढ़ गई है। अगस्त में हर रोज औसतन 22 नए मरीज मिल रहे थे, जो इस माह सितंबर में बढ़कर 25 हो गए हैं। कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीजों की कांट्रेक्ट ट्रेसिंग करने वाले स्वास्थ्य विभाग के डाटा मैनेजर हेमंत कुलश्रेष्ठ बताते हैं कि संक्रमित मरीजों में से 50 फीसद लोग मोहल्लों में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों के पास सर्दी, खांसी, बुखार का इलाज करा चुके होते हैं, जब उन्हें आराम नहीं मिलता है, तब वे राज्य सरकार द्वारा स्थापित किए गए फीवर क्लीनिक पर पहुंचते हैं। यहां जांच के बाद वे कोरोना संक्रमित पाए जाते हैं, लेकिन तब तक वे कई लोगों को संक्रमित कर चुके होते हैं।

अब भी हिचकिचाइट कायम

कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, विदिशा जिले में 15 फीवर क्लीनिक बनाए गए हैं, लेकिन यहां रोज 200 से ज्यादा मरीज नहीं पहुंचते। कुलश्रेष्ठ का कहना है कि लोगों में कोरोना की जांच को लेकर अब भी हिचकिचाहट है, जिसके कारण कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ रहा है।

कोरोना को लेकर दुराग्रह का भाव हटाना होगा

विदिशा के कलेक्‍टर डॉक्‍टर पंकज जैन का कहना है कि कोरोना को लेकर जनमानस में अब भी दुराग्रह का भाव दिखाई देता है। वे इस बीमारी को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं, जिसकी वजह से अधिकांश मरीज लक्षण दिखाई देने के बावजूद जांच कराने से बचते हैं। लोगों को समझना होगा कि यह वायरस से होने वाली एक बीमारी है, जिसे ठीक किया जा सकता है।


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