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सावधान! कोरोना में इन स्क्रीन शेयरिंग एप्स से हो रही है ऑनलाइन ठगी, ऐसे लोगों को दे रहे चकमा

आप फ्रॉड से बचना चाहते हैं तो कुछ रिमोट डेस्कटॉप एप्स से दूरी ही बनाकर रखें। अगर कोई काम न हो तो बेवजह अपने फोन में इन एप्स को इंस्टॉल करके न रखें। इन सॉफ्टवेयर की मदद से दूर के डिवाइस को मॉनिटर किया जा सकता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 11:40 PM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 11:40 PM (IST)
सावधान! कोरोना में इन स्क्रीन शेयरिंग एप्स से हो रही है ऑनलाइन ठगी, ऐसे लोगों को दे रहे चकमा
स्क्रीन शेयरिंग एप एनीडेस्क, टीम व्यूअर, क्विक सपोर्ट, एयरड्रॉयड आदि का ठग कर रहे हैं बेजा इस्तेमाल

नई दिल्ली [अमित निधि]। कोरोना की दहशत बढ़ने के साथ इसको लेकर लोगों की ऑनलाइन सर्च काफी बढ़ गई है। लोग इससे संबंधित दवाई, वैक्सीनेशन, ऑक्सीजन से लेकर दूसरी कई अन्य जानकारियां भी ऑनलाइन सर्च करने लगे हैं। मगर यहां भी साइबर क्रिमिनल्स लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। कभी वैक्सीनेशन के नाम पर तो कभी कोरोना से संबंधित दवाई दिलाने के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं। इसके लिए ठग इन दिनों स्क्रीन शेयरिंग एप एनीडेस्क, टीम व्यूअर, क्विक सपोर्ट, एयरड्रॉयड आदि की खूब मदद लेने लगे हैं। अगर कोई आपको लिंक या फिर अन्य माध्यम से इन एप्स को मोबाइल में डाउनलोड करने को कहता है, तो ऐसा बिल्कुल भी न करें। नहीं तो अकाउंट से सारा पैसा खाली हो जाएगा।

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ऐसे होता है स्क्रीन शेयरिंग एप से खेल

आमतौर पर साइबर क्रिमिल्स लोगों को अपने एंड्रॉयड फोन पर रिमोट डेस्कटॉप यानी स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड करने के लिए दबाव डालते हैं। देखा जाए तो बहुत से आम यूजर को पता नहीं होता है कि कैसे रिमोट डेस्कटॉप एप काम करता है। इसमें पीड़ित अपनी पूरी मोबाइल स्क्रीन को अज्ञात स्कैमर के साथ साझा कर देते हैं। यहां स्कैमर चुपके से पीड़ित के फोन की स्क्रीन को रिकॉर्ड कर लेता है, जिसमें यूपीआइ लॉगइन और ओटीपी भी शामिल होते हैं। आपको बता दें कि रिमोट डेस्कटॉप एप्लीकेशन मैलवेयर नहीं है। आइटी प्रोफेशनल के लिए यह उपयोगी होता है। इन सॉफ्टवेयर की मदद से दूर के डिवाइस को मॉनिटर किया जा सकता है। लेकिन आजकल स्कैमर इन एप्स की मदद से फ्रॉड करते हैं। अगर आप फ्रॉड से बचना चाहते हैं, तो कुछ रिमोट डेस्कटॉप एप्स से दूरी ही बनाकर रखें। अगर कोई काम न हो तो बेवजह अपने फोन में इन एप्स को इंस्टॉल करके न रखें।

टीम व्यूअर क्विक सपोर्ट

  • स्क्रीन शेयरिंग के लिए इस एप का खूब इस्तेमाल होता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल आइटी मैनेजर फोन और पीसी को रिमोटली यानी दूर से कंट्रोल करने के लिए करते हैं।
  • यह बेहद उपयोगी टूल है, लेकिन अगर आप नहीं जानते हैं कि यह कैसे कार्य करता है, तो इसे डाउनलोड न करें। यह सबसे सामान्य एप है, जिसका इस्तेमाल स्कैमर बैंक लॉगइन डिटेल और ओटीपी को चोरी करने के लिए करते हैं।
  • यदि यह एप आपके डिवाइस में इंस्टॉल हो जाता है, तो स्कैमर को दूर से ही चैट, फाइल ट्रांसफर, रियल टाइम स्क्रीन शॉट, डिवाइस इंफॉर्मेशन आदि देखने की सुविधा मिल जाती है। साथ ही, इसकी मदद से बैंकिंग डिटेल व अन्य संवेदनशील डाटा को ट्रांसफर किया जा सकता है। अगर कोई आपसे यह एप डाउनलोड करने को कहे, तो आपको संभल जाना चाहिए।

एनीडेस्क

  • एनीडेस्क रिमोट कंट्रोल भी रिमोट डेस्कटॉप एप्लीकेशन है। बिजनेस यूजर में यह काफी लोकप्रिय है, लेकिन साइबर ठग भी इस एप्लीकेशन का खूब इस्तेमाल करते हैं।
  • अगर आपको जरूरत न हो, तो इन एप्स से बचकर रहने में ही भलाई है। इसकी मदद से रिमोटली यानी दूर बैठे हुए सिस्टम पर कंट्रोल किया जा सकता है।
  • आमतौर पर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सभी प्रोग्राम्स, डॉक्यूमेंट्स, फाइल आदि को रिमोटली एक्सेस करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल कुछ लोग गलत कार्यों के लिए करने लगे हैं। इसके अलावा, इसमें ऑनलाइन कोलेबोरेशन, बिल्ट-इन फाइल ट्रांसफर, सेसंस रिकॉर्डिंग आदि जैसे फीचर्स दिए गए हैं।
  • इस एप के जरिए शातिर ठग आपके मोबाइल को एक्सेस कर लेता है और फिर किसी भी जगह से आपके फोन की जानकारी डिलीट या कॉपी कर सकता है। बैंकिंग डाटा समेत अन्य जानकारी चुरा सकता है।
  • एप डाउनलोड होने पर एक कोड जेनरेट होता है, जिसे किसी दूसरे मोबाइल में डालकर आपके मोबाइल को ऑपरेट किया जा सकता है। इसमें क्रॉस कॉम्पैबिलिटी सपोर्ट है। यह विंडोज, मैकओएस, एंड्रॉयड, आइओएस, लिनक्स, फ्री बीएसडी, क्रोमओएस आदि को सपोर्ट करता है।

एयरड्रॉयड

मोबाइल मैनेजमेंट सुइट के हिसाब से यह उपयोगी सॉफ्टवेयर है। यह डिवाइस को मिरर और रिमोटली कंट्रोल, मैसेज को पीसी से रिसीव और रिप्लाई करने की सुविधा देता है।

इसकी मदद से डिवाइस को पीसी या फिर वेब के जरिए भी मैनेज किया जा सकता है। यह यूजर को रिमोट एक्सेस की सुविधा देता है, जिसका फायदा अक्सर स्कैमर उठाता है। इससे एंड्रॉयड डिवाइस पर रिमोटली पूरी तरह से एक्सेस मिल जाता है।

यह स्क्रीन मिररिंग की सुविधा भी देता है। इसकी खास बात यह है कि यह मिररिंग की तर्ज पर काम करता है यानी कि एक डिवाइस में हो रहे किसी भी एप या डाटा में फेरबदल को दूसरे मोबाइल पर देखा जा सकता है।

इसके जरिए शातिर ठग एप डाउनलोड कराकर पहले यूजर की गतिविधियां देखते हैं और बाद में मौका मिलते ही एकाउंट साफ कर देते हैं।

एयरमिरर

  • यह भी स्क्रीन मिररिंग और रिमोट कैमरा सॉफ्टवेयर है। जो यूजर इसके बारे में नहीं जानते हैं, उनके लिए इसका इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है।
  • इसमें वन-वे ऑडियो की सुविधा है यानी डिवाइस के आसपास की आवाज को सुना जा सकता है। इसकी मदद से एक एंड्रॉयड फोन से दूसरे एंड्रॉयड फोन को कंट्रोल किया जा सकता है।
  • इससे सीधे डिवाइस को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे कोई मतलब नहीं है कि डिवाइस कहां है। स्क्रीन मिररिंग फीचर की वजह से रिमोट डिवाइस को रियल-टाइम में देखा जा सकता है।

स्प्लैशटॉप पर्सनल

  • यह रिमोट डेस्कटॉप एप्लीकेशन है। एंड्रॉयड फोन और टेबलेट की मदद से विंडोज और मैक कंप्यूटर को कंट्रोल किया जा सकता है।
  • स्प्लैशटॉप पर्सनल की मदद से पूरे डिवाइस को कंट्रोल लिया जा सकता है। यह सभी एप्लीकेशंस, डॉक्यूमेंट्स, ईमेल, फुल ब्राउजर, प्लैश, जावा सपोर्ट और गेम्स का एक्सेस देता है।
  • इतना ही नहीं, इसकी मदद से पूरी मीडिया लाइब्रेरी और डॉक्यूमेंट्स का एक्सेस हासिल किया जा सकता है।

ठगी से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें

  1. किसी अनजान के कहने पर कोई भी रिमोट एक्सेस मोबाइल एप डाउनलोड न करें।
  2. अन्य किसी एप को डाउनलोड करने से पहले उसकी उपयोगिता की जानकारी जरूर प्राप्त कर लें।
  3. अपने बैंक, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ई-वॉलेट की जानकारी एवं मोबाइल पर आने वाले वन टाइम पासवर्ड या वेरीफिकेशन कोड को किसी से शेयर करने से बचें।
  4. स्कैमर कई बार फिशिंग ईमेल, टेक्स्ट या फिर इंटरनेट मीडिया के जरिए नकली क्यूआर कोड भेजते हैं। फर्जी कोड को स्कैन करने पर यूजर को ओरिजनल की तरह दिखने वाले पेज पर निर्देशित किया जाता है। जहां पीड़ित को पीआइआइ (पर्सनल आइडेंटिफिएबल इंफॉर्मेशन) दर्ज करके लॉगइन करने के लिए कहा जाता है। यहां से
  5. आपकी संवेदनशील जानकारियों को चोरी किया जा सकता है या फिर स्पाइवेयर या वायरस को भी डिवाइस में ट्रांसफर किया जा सकता है।
  6. डिवाइस को सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर से हमेशा अपडेट रखें। यदि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर संदेह है, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और लॉगइन क्रेडेंशियल बदल दें। अगर आपके साथ किसी तरह की साइबर घटना हो जाती है, तो फिर राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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