क्या शहर, क्या गांव, आज भी पौष्टिक भोजन से वंचित हैं लोग, अध्ययन में बड़े खुलासे
भारत में बीते दशकों में सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में तमामल बदलाव के बावजूद लोगों के पोषण की स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिला है। हैरान करते हैं इस अध्ययन के आंकड़े...
वास्को-द-गामा (गोवा), आइएसडब्ल्यू। पर्याप्त पोषण को अच्छे स्वास्थ्य और देश के विकास का एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है। हालांकि, भारत में पिछले दो दशकों में सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में बदलाव के बावजूद लोगों के पोषण की स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिला है। भारत, अमेरिका और कोरिया के वैज्ञानिकों के एक शोध में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में परिवार न्यूनतम वांछित कैलोरी से वंचित हैं।
एक लाख परिवारों पर अध्ययन
इस अध्ययन में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। अध्ययन में अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के अनुसार प्रति व्यक्ति औसत कैलोरी उपभोग के साथ अपर्याप्त पोषक आहार के स्तर में भी विविधता देखी गई है। साल 1993-94 तथा 2011-12 के दौरान किए गए इस अध्ययन में एक लाख से अधिक शहरी एवं ग्रामीण परिवारों को शामिल किया गया है।
ऐसे किया अध्ययन
इसमें परिवारों की संपन्नता, परिवार के मुखिया की शिक्षा, जाति एवं व्यवसाय जैसे सामाजिक-आर्थिक आधारों के साथ-साथ उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों और उनकी मात्रा की जानकारी शामिल की गई है। यह अध्ययन दिल्ली स्थित आर्थिक विकास संस्थान और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने अमेरिका की वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा दक्षिण कोरिया के सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर किया है।
अभी भी पर्याप्त कैलोरी की समस्या
प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एस.वी. सुब्रमण्यन ने बताया कि भारतीय लोगों में अभी भी पर्याप्त कैलोरी की कमी की समस्या है। पोषण संबंधी नीतियों और शोधों में वृहत पोषक तत्वों के आंकड़ों को एकत्रित करने और उनकी कमी को दूर करने की जरूरत है।
औसत ऊर्जा उपभोग में कमी
ग्रामीण और शहरी परिवारों में प्रति व्यक्ति औसत पोषक ऊर्जा उपभोग में काफी समानता पाई गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीस वर्षों में दोनों क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक विकास के बावजूद प्रति व्यक्ति औसत ऊर्जा उपभोग में कमी आई है। वर्ष 1993-94 में ग्रामीण परिवारों में प्रति व्यक्ति औसत पोषक ऊर्जा उपभोग 2280 किलो कैलोरी तथा शहरी परिवारों में 2274 किलो कैलोरी था, जबकि 2011-12 में यह गांवों में 2210 किलो कैलोरी तथा शहरों में 2202 किलो कैलोरी हो गया।
क्या कहते हैं मानक
पब्लिक हेल्थ न्यूटिशन जर्नल में प्रकाशित हुए शोध में बताया गया है कि भारत में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को औसत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2400 किलो कैलोरी और शहरी क्षेत्रों के लिए 2100 किलो कैलोरी तय की गई है। इससे 80 प्रतिशत से कम उपभोग को अपर्याप्त ऊर्जा की श्रेणी में रखा जाता है। यह पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 33 प्रतिशत और शहरों में लगभग 20 प्रतिशत परिवार अपर्याप्त ऊर्जा का उपभोग करते हैं।