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पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला

पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 04:42 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 07:35 PM (IST)
पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला
पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा। वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, एडीटर्स गिल्ड, पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा, जगदीप छोकर सहित 11 लोगों ने याचिकाएं दाखिल कर पेगासस जासूसी कांड की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इन्कार के बाद सभी पक्षों की बहस सुनकर 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ लंबित विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। 13 सितंबर को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इन्कार करते हुए कहा था कि इजराइली स्पाईवेयर पेगासस या किसी साफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, इसकी जानकारी हलफनामे में नहीं दी जा सकती। राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए ऐसी जानकारी सार्वजनिक करना ठीक नहीं होगा।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली कोई जानकारी जानने में रुचि नहीं है। याचिका दाखिल करने वालों ने निजता के अधिकार के हनन का आरोप लगाया है ऐसे में कोर्ट सिर्फ यह जानना चाहता है कि क्या किसी स्पाईवेयर का प्रयोग किया गया है और अगर किया गया है तो क्या कानून सम्मत तरीके से किया गया है। सरकार हलफनामा दाखिल करती तो कोर्ट को उसका स्पष्ट रुख पता चलता, लेकिन अगर सरकार हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती तो कोर्ट फैसला सुरक्षित कर रहा है और अंतरिम आदेश पारित करेगा।

इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से शुरुआत में दाखिल किए गए संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया था कि याचिकाएं अनुमानों, आशंकाओं और मीडिया में आई अपूर्ण जानकारी पर आधारित हैं। सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष समिति गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सरकार के हलफनामे पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए स्पष्ट तौर पर यह बताने की मांग की कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल सरकार ने किया है या नहीं। कोर्ट ने भी सरकार से विस्तृत हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। लेकिन सरकार का कहना था कि याचिकाओं में जांच की मांग की गई है और सरकार एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को तैयार है जो जांच करके रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।

सरकार के पास इसमें छिपाने लायक कुछ नहीं है। वह कोर्ट को बता सकती है, लेकिन ऐसी जानकारी हलफनामा दाखिल कर सार्वजनिक नहीं की जा सकती। देश की सुरक्षा को देखते हुए इसे सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। अगर कहा जाएगा कि किसी निश्चित साफ्टवेयर का प्रयोग हुआ है तो आतंकी संगठन सचेत हो सकते हैं क्योंकि हर चीज का काउंटर साफ्टवेयर भी होता है, इससे उन्हें मदद मिलेगी। मौजूदा कानूनी व्यवस्था में टेलीग्राफ एक्ट, आइटी एक्ट के तहत कोई भी अनाधिकृत काल इंटरसेप्ट नहीं हो सकती।

याचिकाओं में पेगासस का प्रयोग करके राजनीतिज्ञों, प्रतिष्ठित लोगों पत्रकारों आदि की जासूसी के बारे में मीडिया में आई खबरों को आधार बनाते हुए पूरे मामले की कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की गई है। याचिकाओं में गैरकानूनी ढंग से फोन टैप होने को निजता के अधिकार का हनन बताया गया है।


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