जीएमसीएच का बोझ कम करने की कोशिश, निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को गोवा सरकार ही भर्ती करेगी
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि सरकार सिर्फ निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने का काम देखेगी। प्रबंधन का काम निजी अस्पतालों के पास ही रहेगा। आक्सीजन के लिए सिलेंडर पर निर्भरता कम करने के लिए दो करोड़ लीटर की टंकी लगाई गई है।
पणजी, एजेंसियां। गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में मरीजों की खासकर कोरोना संक्रतिमों की भीड़ को कम करने के लिए राज्य सरकार ने सोमवार से सभी निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने का काम अपने हाथों में लेने का फैसला किया है। पिछले चार दिनों में आक्सीजन सप्लाई में गड़बड़ी की वजह से जीएमसीएच में 75 मरीजों की जान जा चुकी है।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि इस कदम से जीएमसीएच जैसे अस्पतालों पर बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि यह भी शिकायतें मिल रही थी कि निजी अस्पतालों ने कोरोना के मरीजों के लिए अपने यहां 50 फीसद बेड आरक्षित नहीं किए थे। इसके अलावा राज्य सरकार की बीमा योजना के तहत भी वो कोरोना मरीजों का इलाज नहीं कर रहे थे।
सावंत ने कहा कि सरकार सिर्फ निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने का काम देखेगी। प्रबंधन का काम निजी अस्पतालों के पास ही रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जीएमसीएच में आक्सीजन सप्लाई के लिए सिलेंडरों पर निर्भरता कम करने के लिए दो करोड़ लीटर की आक्सीजन की टंकी लगाई गई है। यहां सुबह के समय आक्सीजन सिलेंडरों को एक साथ जोड़ने के वक्त सप्लाई में दबाव कम होने से चार दिनों में 75 मरीजों की मौत हो चुकी है।
इस बीच, जीएमसीएच के डीन डॉ. शिवानंद बांदेकर ने दावा किया है कि मरीजों की मौत के लिए आक्सीजन की कमी कारण नहीं बताया जा सकता। उन्होंने कहा कि जीएमसीएच में अधिकतर कोरोना के गंभीर मरीज ही लाए जाते हैं। इनमें से ज्यादातर की मौत कोविड न्यूमोनिया के चलते हुई है। यह नहीं कहा जा सकता है कि आक्सीजन नहीं मिलने से मरीजों की मौत हो गई।