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भोपाल : हमीदिया अस्पताल में कोरोना मरीजों की स्वजन से वीडियो कॉल पर कराई जाती है बात

मरीजों के स्वजन को इलाज से जुड़ी जानकारी नहीं मिलने के कारण कई बार विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति भी बन रही थी। इस समस्या को दूर करने और इलाज को लेकर भरोसा बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने एक नया तरीका निकाला।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 09:52 PM (IST)
भोपाल : हमीदिया अस्पताल में कोरोना मरीजों की स्वजन से वीडियो कॉल पर कराई जाती है बात
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बार-बार बन रही विवाद की स्थिति के बाद लिया फैसला

भोपाल [दीपक विश्वकर्मा]। भोपाल के हमीदिया अस्पताल के कोविड वार्ड में सुरेंद्र सिंह राजपूत पिछले 10 दिन से इलाज करा रहे हैं। कोविड वार्ड में स्वजन आ नहीं सकते, इसलिए उनका बेटा अभिषेक और पूरा परिवार अपनी भूख-प्यास भुलाकर दिन-रात इसी चिंता में डूबा हुआ था कि उनकी हालत कैसी है, वे खाना खा रहे हैं या नहीं? फेफड़ों का संक्रमण तो नहीं बढ़ गया? आक्सीजन लेवल कितना है? परिवार के सदस्य खुद संक्रमित होने के खतरे के बीच भी दिनभर इसीलिए हमीदिया अस्पताल के परिसर में घूमते रहते थे कि किसी तरह एक बार उनसे बात हो जाए। आखिरकार 10 दिन बाद वाट्सएप वीडियो कॉल आती है और अभिषेक के पिता उनसे कहते हैं- बेटा मैं बिल्कुल ठीक हूं। इलाज ठीक चल रहा है, अपना ध्यान रखो। यह शब्द कानों में पड़ते ही अभिषेक की जैसे सारी चिंता दूर हो गई। सिर्फ अभिषेक ही नहीं, हमीदिया अस्पताल में भर्ती कोरोना के 260 से ज्यादा मरीजों के स्वजन की चिंता वीडियो कॉल के जरिए दूर की जा रही है।

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दरअसल, भोपाल के हमीदिया अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी होने के बाद यहां हो रहे इलाज पर भी सवाल उठने लगे थे। मरीजों के स्वजन को इलाज से जुड़ी जानकारी नहीं मिलने के कारण कई बार विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति भी बन रही थी। इस समस्या को दूर करने और इलाज को लेकर भरोसा बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने एक नया तरीका निकाला। यहां भर्ती कोरोना मरीज के इलाज और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी स्वजन को सीधे परिवार के सदस्य को उपलब्ध कराने की शुरुआत की है। दिन में एक बार मरीज की उनके स्वजन से वीडियो कॉलिंग पर बातचीत भी कराई जा रही है।

यह व्यवस्था कोरोना वालेंटियर बने कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को सौंपी है। सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा बताती हैं कि इस प्रयास से न सिर्फ परिवार के सदस्यों को राहत मिलेगी, बल्कि मरीजों को भी स्वस्थ होने में मदद मिलेगी। वीडियो कॉल पर बात करवाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को टैबलेट्स उपलब्ध कराए गए हैं। हर स्वास्थ्य कर्मी को चार से पांच मरीजों की जिम्मेदारी दी गई है।

नीरज के भाई धीरज अस्पताल में भर्ती हैं उन्होंने बताया, 'इसी हमीदिया अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने के कारण मैंने अपना एक भाई खोया है। अब एक भाई और संक्रमित है, जिसे हमीदिया में वेंटिलेटर पर रखा गया है। अब वीडियो कॉल के जरिए भाई से बातचीत हुई तो मन को तसल्ली मिली है।'

भोपाल के संभागयुक्त कवींद्र कियावत ने कहा, 'आक्सीजन या वेंटिलेटर वाले मरीज खुद मोबाइल पर बात नहीं कर पाते, उनकी स्थिति के बारे में पादर्शिता आ सके, इसलिए यह प्रयास किया गया है। मरीजों के स्वजन को उनकी हर स्थिति के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके, इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है।'


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