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डब्लूटीओ में तुरंत तय हों कोरोना वायरस वैक्सीन पर पेटेंट से छूट के नियम- विशेषज्ञों की राय

प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए तत्काल बातचीत शुरू करने का दिया सुझाव। भारत और दक्षिण अफ्रीका के डब्लूटीओ में कोरोना टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट देने के प्रस्ताव को अमेरिका के समर्थन पर विशेषज्ञों ने यह बात कही।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 10:36 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 10:36 AM (IST)
डब्लूटीओ में तुरंत तय हों कोरोना वायरस वैक्सीन पर पेटेंट से छूट के नियम- विशेषज्ञों की राय
कोरोना के टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट के प्रस्ताव का मामला। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। विशेषज्ञों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के सदस्य देशों को कोरोना के टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए तत्काल बातचीत शुरू करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि जिस तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उसके लिए यह जरूरी है। भारत और दक्षिण अफ्रीका के डब्लूटीओ में कोरोना टीकों को लेकर पेटेंट नियमों में छूट देने के प्रस्ताव को अमेरिका के समर्थन पर विशेषज्ञों ने यह बात कही। बता दें कि व्यापार से संबंधित पहलुओं पर बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) का डब्लूटीओ का करार जनवरी 1995 में अमल में आया था। यह कापीराइट, औद्योगिक डिजायन, पेटेंट और अघोषित सूचना या व्यापार गोपनीयता के संरक्षण जैसे बौद्धिक संपदा पर बहुपक्षीय समझौता है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि डब्लूटीओ में जल्द से जल्द बातचीत करके निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए क्योंकि दुनिया को कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम और संक्रमित लोगों के इलाज के लिए टीकों और अन्य चिकित्सा उत्पादों की जरूरत है।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा, 'डब्लूटीओ में प्रस्ताव पर बातचीत कब तक चलेगी? यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमें अभी चीजों की जरूरत है। मसौदे का ब्योरा महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसमें शर्तें नहीं होनी चाहिए। शर्तें होने पर भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के लिए टीकों का निर्माण मुश्किल हो जाएगा। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि मसौदे में क्या होता है।'

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की रोकथाम और संक्रमितों के इलाज के लिए जो भी जरूरी है, उसे आइपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) से मुक्त रखा जाना चाहिए।राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा संगठन (एनआइपीओ) के अध्यक्ष टीसी जेम्स ने कहा कि मसौदा प्रस्ताव की बातें महत्वपूर्ण हैं और डब्लूटीओ सदस्य देशों को इस पर तुंरत बातचीत शुरू करनी चाहिए। जेम्स ने कहा, 'यहां प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है। आइपीआर कोई बड़ी चीज नहीं है। हमें औषधि कंपनियों के बीच और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है।'

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी में भागीदार और राष्ट्रीय प्रैक्टिस प्रमुख (आइपीआर) डेव राबिंसन ने कहा, 'आइपीआर का स्थगन समाधान का केवल एक हिस्सा है। ऐसे हालात में आइपीआर मालिक अपने अधिकारों पर संभवत: जोर नहीं देंगे। इसका दूसरा हिस्सा वास्तविक सहयोग है। यानी उत्पादन किस प्रकार होना है, उसके बारे में जानकारी की जरूरत होगी। यह थोड़ा पेचीदा है।' यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम से भारतीय औषधि कंपनियों को वैश्विक दवा कंपनियों से प्रौद्योगिकी की जानकारी मिलेगी ताकि वे घरेलू स्तर पर टीके बना सकें, उन्होंने कहा कि गुणवत्ता तत्व महत्वपूर्ण है और इकाइयों को स्थापित करने में समय लग सकता है।

डेलायट इंडिया के भागीदार जयशील शाह ने कहा कि अमेरिका ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अन्य देशों से भी मंजूरी की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'इससे चीजें सस्ती होंगी और विकासशील/अल्पविकसित देशों तक पहुंच बढ़ेगी। कुल मिलाकर इससे महामारी के खिलाफ अभियान में मदद मिलेगी।' शाह ने कहा, 'निश्चित रूप से इससे भारत को प्रमुख संगठनों से प्रौद्योगिकी की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे हमारे पास विभिन्न प्रकार के टीके होंगे और वह तेजी से लोगों तक पहुंच पाएंगे।'

डब्लूएचओ ने अमेरिकी फैसले को सराहा

कोरोना वैक्सीन के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों को अस्थायी रूप से स्थगित करने का समर्थन करने के अमेरिकी फैसले की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने सराहना की है। डब्लूएचओ के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा कि बाइडन प्रशासन का यह फैसला वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए अमेरिकी नेतृत्व का मजबूत उदाहरण है। यह फैसला इस महामारी को खत्म करने की दिशा में काम करने के लिए अमेरिकी नेतृत्व की बुद्धिमता और नैतिक नेतृत्व को दर्शाता है।

कई देश वैक्सीन के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों में छूट के पक्षधर

दुनिया के तमाम देशों को आसानी से और सस्ती दरों पर कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने की भारतीय मुहिम को अमेरिकी समर्थन के बाद कई अन्य देशों ने भी इसका समर्थन किया है।सबसे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि कई देश इस मसले पर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैं बौद्धिक संपदा को खोलने का पूरी तरह समर्थन करता हूं।' आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्काट मोरिसन ने अमेरिकी रुख को बहुत अच्छी खबर करार दिया। दक्षिण कोरिया ने कहा कि वह स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। 

इटली के विदेश मंत्री लुइगी डी मायो ने कहा कि अमेरिकी घोषणा बेहद महत्वपूर्ण संकेत है और दुनिया को वैक्सीन के लिए पेटेंट से मुक्त पहुंच की जरूरत है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनका देश इसका समर्थन करेगा। चीन ने भी प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है। उसने कहा कि चीन टीके की पहुंच के मुद्दे का समर्थन करता है। बता दें कि करीब 80 देश पहले से भारत और दक्षिण अफ्रीका के इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं और इनमें ज्यादातर विकासशील देश हैं।


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