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चुनौतियों वाला साल था 2020, वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित; आत्मनिर्भरता की जरूरत: नरवणे

आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने कहा 2020 दो चुनौतियों के साथ अलग साल रहा। कोविड महामारी और उत्तरी सीमा पर भी विवाद रहा। पिछले साल का असर इस साल दिखेगा। इसके कारण प्रभावित ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्या सामने आई और आत्मनिर्भरता की जरूरतों को रेखांकित किया।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 03:20 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 03:20 PM (IST)
चुनौतियों वाला साल था 2020, वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित; आत्मनिर्भरता की जरूरत: नरवणे
2020 के कारण अब आत्मनिर्भरता की जरूरत

नई दिल्ली, एएनआइ। आर्मी चीफ जनरल एएम नरवणे (Army chief General MM Naravane) ने गुरुवार को सीमा पर चीन के साथ तनाव का हवाला देते हुए कहा कि 2020 में दो-दो चुनौतियां थी जिसमें से एक महामारी कोविड-19 के कारण वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हुआ और दूसरा उत्तरी सीमाओं पर तनाव। उन्होंने कहा, 'पिछले साल की घटनाओं से आत्मनिर्भरता की जरूरत सामने आई है। जरूरी चीजों का आयात-निर्यात भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में इनके निर्माण के लिए हमें खुद पर भरोसा करना होगा।' 

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डिफेंस में आत्मनिर्भरता की जरूरतों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक जरूरत बन गई है।आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे (Army Chief General MM Naravane) ने गुरुवार को कहा, '2020  दो चुनौतियों के साथ अलग साल रहा। कोविड महामारी और उत्तरी सीमा पर भी विवाद रहा। पिछले साल का असर इस साल दिखेगा। इसके कारण प्रभावित ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्या सामने आई और आत्मनिर्भरता की जरूरतों को रेखांकित किया।' पिछले सप्ताह ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरवणे ने कहा कि उत्तरी सीमा पर अलर्ट हैं, किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। आठ राउंड की बातचीत हो चुकी है, और अब नौवें राउंड की होगी। मामला बातचीत से हल होगा, लेकिन हम किसी भी हालत के लिए तैयार हैं।

उत्तरी सीमा और COVID-19 के कारण पिछला पूरा साल चुनौतियों से भरा रहा। हमने दोनों का सामना किया, कम नोटिस पर सेना को ज़रूरत के मुताबिक तैनात किया, और सभी राज्यों और लोगों की मदद की। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान पहले वाली हरकतें कर रहा है, लेकिन हमने साफ-साफ कहा है कि यह हम बर्दाश्त नही करेंगे।

बता दें कि विवाद के बाद हटाए गए सैन्य थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (USI) की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय सेना के आधे से ज्यादा सैनिक गंभीर तनाव की स्थिति में हैं। दुश्मनों की गोली के मुकाबले आत्महत्या, आपसी झगड़े और अन्य अप्रिय घटनाओं में हर साल ज्यादा सैनिकों की जान जा रही है।


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