जया जेटली की टीम अस्वस्थ, लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने संबंधी विधेयक पर टली चर्चा
समिति के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने एएनआइ को बताया हम खेल मंत्रालय के डोपिंग रोधी विधेयक पर चर्चा करेंगे लेकिन बाल विवाह पर नहीं क्योंकि जया जेटली समिति के सदस्य अस्वस्थ हैं और आज पैनल के सामने पेश नहीं हो सकते।
नई दिल्ली, एएनआइ। बहुचर्चित 'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021' जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव दिया गया है, पर बुधवार को संसद की स्थाई समिति के साथ चर्चा होनी थी। जया जेटली की टीम के सदस्यों की तबियत खराब होने के चलते इसे फिलहाल के लिए टाल दिया गया है। शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवा और खेल के लिए बनाई गई स्थायी समिति के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने एएनआइ को बताया कि 'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021' पर बुधवार को चर्चा नहीं की जाएगी। सहस्त्रबुद्धे ने कहा, हम खेल मंत्रालय के डोपिंग रोधी विधेयक पर चर्चा करेंगे लेकिन बाल विवाह पर नहीं, क्योंकि जया जेटली समिति के सदस्य अस्वस्थ हैं और आज पैनल के सामने पेश नहीं हो सकते।
बता दें कि लड़कियों की शादी की उम्र की जांच करने के लिए टास्क फोर्स ने लड़कियों की उम्र बढ़ाने की सिफारिश की थी। इस टास्क फोर्स का गठन जया जेटली के नेतृत्व में किया गया था। टास्क फोर्स ने अपनी सिफारिश में कहा था कि अगर लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी जाए तो इससे परिवारों, महिलाओं और बच्चों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
संसद के दो अन्य सदस्यों सुष्मिता देब और प्रियंका चतुर्वेदी ने इस समिति में सिर्फ एक ही महिला सांसद को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। सहस्रबुद्धे ने दोनों सांसदों से समिति के सदस्यों की मंशा पर शक ना करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह समिति बिल की पूरी तरह से जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर महिला सांसदों और महिला एवं बाल विकास मंत्री सहित मंच से लोगों और हितधारकों को भी आमंत्रित करेगी।
'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए विवाह की आयु को 21 वर्ष करने के लिए 'बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (पीसीएमए)' में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है। भारत का संविधान लैंगिक समानता की गारंटी देते हैं। प्रस्तावित कानून उसी के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में एक मजबूत उपाय है क्योंकि यह महिलाओं को पुरुषों की बराबरी पर लेकर आएगा। मातृ मृत्यु दर (MMR), शिशु मृत्यु दर (IMR) को कम करने और पोषण स्तर में सुधार के साथ-साथ जन्म के समय लिंग अनुपात (SRB) में वृद्धि के लिए अनिवार्य है। प्रस्तावित कानून को लाने करने के ये मुख्य कारण हैं।