गलवन घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करेगी 30 सदस्यीय रक्षा संबंधी संसदीय समिति
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यों की समिति मई के अंतिम सप्ताह या जून में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का दौरा करना चाहती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवन घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का फैसला किया है।
भाजपा नेता ओराम की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यों की समिति पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का दौरा करेगी
सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यों की समिति मई के अंतिम सप्ताह या जून में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का दौरा करना चाहती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं।
एलएसी के दौरे के लिए संसदीय समिति को सरकार के अनुमोदन की होगी आवश्यकता
इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय समिति की पिछली बैठक में लिया गया था। उस बैठक में राहुल ने भाग नहीं लिया था। सूत्रों ने कहा कि चूंकि समिति एलएसी का दौरा करना चाहती इसलिए सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
चीन को नहीं दी अपनी जमीन
सरकार ने साफ कर दिया है कि पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों की वापसी को लेकर चीन से हुए समझौते में भारत ने अपनी कोई जमीन पड़ोसी देश को नहीं सौंपी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय भूभाग ¨फगर चार तक ही नहीं, बल्कि भारत के मानचित्र के हिसाब से ¨फगर आठ तक है। पूर्वी लद्दाख में राष्ट्रीय हितों और भूभाग की प्रभावकारी तरीके से रक्षा इसलिए हुई है कि सरकार ने देश के सैनिकों की क्षमता में पूरा विश्वास जताया है। हमारे सैन्य बलों की कुर्बानी के जरिये हासिल हुई इस उपलब्धि पर जो सवाल खड़े कर रहे हैं, वे इन सैनिकों का अपमान कर रहे हैं।
राहुल ने कहा था- सरकार गलवन घाटी में सैनिकों की कुर्बानी का अनादर कर रही
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सैनिकों की वापसी को लेकर यह बयान दिया था कि सरकार गलवन घाटी में सैनिकों की कुर्बानी का अनादर कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि रणनीतिक लिहाज से अहम इलाकों डेपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग से चीनी पीछे क्यों नहीं हटे हैं? ऐसे में हमारे सैनिकों को कैलास रेंज से पीछे हटाने से भारत को क्या हासिल हुआ है? कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि चीन को अपनी जमीन सौंपने की बात कहने से बचने के लिए प्रधानमंत्री ने खुद के बजाय रक्षा मंत्री से संसद में बयान दिलाया। राहुल यहां तक कह गए कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को इस सवाल का जवाब देना होगा कि भारतीय भू-भाग चीन को क्यों सौंपा गया? राहुल की प्रेस कांफ्रेंस के कुछ घंटों बाद ही रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर तथ्यों को साफ किया।
रक्षा मंत्रालय ने कहा- सैनिक भ्रामक वापसी पर गुमराह करने वाले बयान
कांग्रेस नेता का नाम लिए बिना रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पैंगोंग झील इलाके में सैनिकों की वापसी पर हुए समझौते को लेकर कुछ भ्रामक और गुमराह करने वाले बयान सामने आए हैं। इसके मद्देनजर रक्षा मंत्रालय फिर से दोहरा रहा है कि समझौते से जुड़े तथ्यों की स्थिति रक्षा मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में पूरी तरह स्पष्ट कर दी थी।रक्षा मंत्रालय ने इसके बाद फिगर चार तक भारतीय भूभाग होने के राहुल के बयान पर कहा कि यह पूरी तरह गलत है। भारत के मानचित्र में 43,000 वर्ग किलोमीटर का वह इलाका भी शामिल है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है।