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Pariksha Pe Charcha 2021 : पीएम मोदी ने दिए छात्रों को खास टिप्‍स, कहा- तनाव न लें, परीक्षा जिंदगी का आखिरी मुकाम नहीं

प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को बोर्ड परीक्षाओं से पहले अपने कार्यक्रम परीक्षा-पे-चर्चा में देश-दुनिया के छात्रों अभिभावकों और शिक्षकों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने उनके सवालों के खुलकर जवाब दिए। जानें प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को क्‍या टिप्‍स दिए...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 07:04 AM (IST)
Pariksha Pe Charcha 2021 : पीएम मोदी ने दिए छात्रों को खास टिप्‍स, कहा- तनाव न लें, परीक्षा जिंदगी का आखिरी मुकाम नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को 'परीक्षा-पे-चर्चा' में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से बात की...

नई दिल्ली, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'परीक्षा-पे-चर्चा' कार्यक्रम में विद्यार्थियों से कहा कि परीक्षा को लेकर बिल्कुल भी तनाव न लें क्योंकि यह जिंदगी का आखिरी मुकाम नहीं है। जिंदगी बहुत लंबी है। परीक्षा तो एक छोटा सा पड़ाव है। यह जीवन को गढ़ने का एक अवसर है। ऐसे में खुद को इस कसौटी पर कसने के मौके खोजते रहना चाहिए ताकि हम और बेहतर कर सकें। इससे भागना नहीं है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान छात्रों को आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया और कहा बड़े सपने रखिए व देश के लिए सोचिए।

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दूसरों की देखादेखी वाली परिपाटी गलत

प्रधानमंत्री ने दूसरों को देखकर अपना नजरिया बनाने की परिपाटी को भी गलत बताया और कहा कि खुद की प्रतिभा को पहचानकर आगे बढ़ें। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को भी याद किया। प्रधानमंत्री के साथ परीक्षा-पे-चर्चा में करीब 14 लाख लोगों से हिस्सा लिया जिनमें 10 लाख से ज्यादा छात्र थे। इसमें दुनिया के 81 देशों के छात्र भी शामिल थे। इस बार यह पूरा कार्यक्रम वर्चुअल रखा गया था।

आत्मनिर्भर भारत का मंत्र

प्रधानमंत्री ने इस दौरान आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देते हुए कहा कि परीक्षाएं खत्म होने के बाद वे अपने परिवार के साथ मिलकर उपयोग की जाने वाली चीजों की एक लिस्ट बनाए और देंखे कि उनमें कौन सी चीज बाहर की और कौन देश की बनी हैं। सिर्फ इस पर विचार करें।

छात्रों को दिया यह टास्क

प्रधानमंत्री ने छात्रों को एक और लक्ष्य देते हुए कहा कि देश आजादी के 75वें वर्ष पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में परीक्षा के बाद सभी छात्र अपने-अपने राज्य के आजादी के आंदोलन से जुड़ी 75 घटनाएं खोजकर निकालें और उस पर कुछ लिखें।

प्रधानमंत्री ने दिए ये टिप्स

1- सभी विषयों को बराबर समय दें। पढ़ाई के दौरान जो कठिन विषय या पाठ लगें, उसे पहले पढ़े। एक समय कठिन विषय भी रुचिकर लगने लगेगा। मुश्किल विषयों से भागे नहीं।

2- शिक्षकों को सलाह दी कि वे पढ़ाई से बाहर निकलकर भी बच्चों से बात करें। टोकने, रोकने के बजाय उन्हें सलाह दें। किसी बच्चे में कोई कमी दिखे तो अलग से चलते-फिरते आसान तरीके से समझाएं।

3- खाली समय एक खजाना है। दिनचर्या में खाली समय होना ही चाहिए। वर्ना ¨जदगी रोबोट जैसी हो जाएगी। खाली समय में वह करना चाहिए जिससे सबसे ज्यादा खुशी मिलती है। जैसे मुझे खाली समय में झूले पर बैठना पसंद है।

4- मूल्यों को कभी थोपे नहीं, बल्कि जीकर उन्हें सिखाएं। आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सुबह उठकर पढ़े, लेकिन क्या आपके घर में कभी ऐसी किताबों की चर्चा होती है जिसमें सुबह उठने के फायदों की चर्चा हो। यदि ऐसा करेंगे तो बच्चा खुद ही सीखेगा और करेगा।

5- जीवन में अवसरों की कोई कमी नहीं है। जितने लोग हैं, उतने अवसर भी हैं। सपने देखें, लेकिन उन्हें पूरा भी करें।

6- बच्चों के फास्ट फूड खाने की जिद से जुड़े सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समस्या तब पैदा होती है जब हम बच्चों के बीच अपने पारंपरिक खान-पान की कोई चर्चा नहीं करते। यदि ऐसा करेंगे तो उनमें अपने पारंपरिक खान-पान के प्रति गौरव का भाव पैदा होगा।

7- याद करने पर जोर देने के बजाय उसे जीने की कोशिश करनी चाहिए। सहजता, सरलता, समग्रता के साथ। मन अशांत रहेगा तो इस बात की संभावना ज्यादा रहेगी कि कुछ देर में सब कुछ भूल जाएंगे। इसके लिए आपको अपनी सारी टेंशन परीक्षा हाल के बाहर छोड़कर जाना होगा।

8- प्रधानमंत्री ने परिजनों से कहा कि यदि आपको युवा बने रहना है तो अपने बच्चों के साथ दूरी को कम कीजिए। यह आपके लिए फायदे वाला है। उन दिनों को भी याद दिलाया, जब बच्चा छोटा था और आप उसे खुश करने के लिए क्या-क्या करते थे। साथ ही कहा कि बच्चों की बात सुनिए, समझिए, उन्हें हांकने वाले (इंस्ट्रक्टर) मत बनिए।

अभिभावकों को दी यह सलाह

प्रधानमंत्री मोदी बताया कि परीक्षा का डर इसलिए पैदा होता है क्योंकि आपके आसपास का माहौल कुछ इस तरीके का बना दिया गया है जिसमें लगता है कि परीक्षा ही सब कुछ है, यही जिंदगी है। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को परीक्षा के अंकों के आधार पर ही न आंके, बल्कि उनकी प्रतिभा को पहचाने और निखारने में भी मदद करें।


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