Coronavirus : पेंगोलिन भी है कोविड-19 फैलाने में जिम्मेदार, IIT इंदौर का दावा
आइआइटी की शोध टीम के मुताबिक ऐसे में चमगादड़ के साथ पेंगोलिन और संभवत अन्य जानवरों ने मिलकर इस वायरस को ज्यादा घातक बना दिया है। असल स्रोत तक पहुंचने के लिए अब इस दिशा में लंबे शोध की जरूरत है।
इंदौर, जेएनएन। चीन के वुहान से दुनियाभर में फैली महामारी कोरोना को मनुष्यों के बीच लाने के पहले स्रोत को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। अब तक प्रचलित सिद्धांत के अनुसार ज्यादातर लोग इस बीमारी के लिए चमगादड़ को जिम्मेदार मान रहे हैं। आइआइटी इंदौर की शोध टीम ने दावा किया है कि चमगादड़ के साथ पेंगोलिन यानी चींटीखोर भी कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार है। शोध टीम के रिव्यू आर्टिकल को अंतरराष्ट्रीय अमेरिकी साइंस जनरल हिलियॉन में प्रकाशित किया गया है। आइआइटी इंदौर के दो प्रोफेसरों डॉ. राजेश कुमार और डॉ. हेमचंद्र झा के साथ सात पीएचडी रिसर्च स्कॉलरों और दो इंटर्न की टीम ने दुनियाभर में कोविड-19 वायरस पर हुए परीक्षणों के डाटा के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष दिया है।
वायरस की संरचना का परीक्षण
डॉ. झा और डॉ. कुमार के अनुसार मनुष्य, चमगादड़ और पेंगोलिन तीनों में पाए जाने वाले कोविड वायरस की संरचना का परीक्षण किया गया। मानव में पाए जाने वाले सार्स कोविड वायरस के 148 प्रकार के नमूनों का पेंगोलिन में पाए जाने वाले कोविड के छह वायरसों और चमगादड़ों में पाए गए दो तरह के कोविड वायरस की संरचना से मिलान किया गया। साबित हुआ है कि मनुष्यों में पाए जाने वाले कोविड वायरस की डीएनए श्रृंखला चमगादड़ में पाए जाने वाले वायरस से मेल खा रही है। जबकि वायरस का एमिनो एसिड पेंगोलिन में पाए जाने वाले कोविड वायरस से मेल खा रहा है।
ज्यादा घातक बना वायरस
आइआइटी के प्रोफेसरों के मुताबिक इस तरह के नतीजे साबित कर रहे हैं कि मनुष्यों के बीच आया कोविड-19 वायरस सिर्फ चमगादड़ से नहीं आया, बल्कि चमगादड़ के बाद पेंगोलिन जैसे अन्य जीव से होता हुआ मनुष्य तक पहुंचा है। चाइना के दो प्रांतों के बाजार से खरीदे गए पेंगोलिन जो कोविड से ग्रसित थे, उनके फेफड़ों से जुटाए वायरस के सैंपल की जांच इस नतीजे का आधार बने हैं। आइआइटी की शोध टीम के मुताबिक ऐसे में चमगादड़ के साथ पेंगोलिन और संभवत: अन्य जानवरों ने मिलकर इस वायरस को ज्यादा घातक बना दिया है। असल स्रोत तक पहुंचने के लिए अब इस दिशा में लंबे शोध की जरूरत है।
एक म्युटेशन हावी
कोरोना वायरस के लगातार संरचना परिवर्तित करने यानी म्युटेशन की बात कही जा रही है। डॉ. झा के मुताबिक आइआइटी की टीम के इस रिव्यू आर्टिकल में यह भी नतीजा दिया है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में एक खास प्रकार का म्युटेट वायरस ज्यादा फैल रहा है। इसे 'डी-614-जी' नाम दिया गया है। सात देशों के आंकड़ों का अध्ययन करने पर पांच देशों में ये ही म्युटेशन पाया गया। इनमें अमेरिका के साथ भारत भी शामिल है। दो महीने पहले आइआइटी की टीम ने अमेरिकी जनरल को अपना आर्टिकल भेजा था। तीन परीक्षणों और जांच के बाद अब दिसंबर में उसे प्रकाशित किया गया है।