Move to Jagran APP

Pandit Jasraj Passes Away: जितना बड़ा नाम, स्वभाव से उतने ही सरल थे पंडित जसराज

पंडितजी का जितना बड़ा नाम था वह स्वभाव से उतने ही सरल और प्रेरक व्यक्तित्व के थे। कुछ ही मिनट के संवाद में झिझक टूटने लगती थी और गायन के साथ संगीत का तालमेल स्वत बन पड़ता था।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 11:29 AM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 11:29 AM (IST)
Pandit Jasraj Passes Away: जितना बड़ा नाम, स्वभाव से उतने ही सरल थे पंडित जसराज
Pandit Jasraj Passes Away: जितना बड़ा नाम, स्वभाव से उतने ही सरल थे पंडित जसराज

[पं. धर्मनाथ मिश्र]। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मुझे पं. जसराज जी का सान्निध्य युवावस्था से ही मिला। उनके साथ मेरी पहली संगत पटना में हुई थी। उस समय पटना में भव्य दुर्गापूजा होती थी, जिसमें पंडित जसराज का गायन था और मुझे हारमोनियम पर संगत का अवसर मिला था। मेरी आयु उस समय 24-25 साल की ही थी और यह पहला अवसर था जिसमें मैंने साज को आवाज में समाहित होते देखा। उनकी आवाज सुनते ही साज जैसे झंकृत हो उठते थे।

loksabha election banner

पंडितजी का जितना बड़ा नाम था, वह स्वभाव से उतने ही सरल और प्रेरक व्यक्तित्व के थे। कुछ ही मिनट के संवाद में झिझक टूटने लगती थी और गायन के साथ संगीत का तालमेल स्वत: बन पड़ता था। पटना के बाद तो कई बार मुझे उनके साथ आशीर्वाद के रूप में मंच मिला। वाराणसी में, प्रयाग संगीत समिति में। वह साधक थे और उनकी आवाज गूंजते ही श्रोता मानों शून्य में चले जाते थे। 

उनकी आवाज प्रकृति से साक्षात्कार कराती थी

1992 की बात है, उस समय लखनऊ के रवींद्रालय में उत्तर दक्षिण कल्चरल आर्गेनाइजेशन नामक संस्था एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम कराती थी। पं. जसराज के गायन ने यहां लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। वाराणसी में तीन साल पहले संकट मोचक समारोह में उनके साथ मेरी आखिरी संगत थी, जिसकी स्मृति मुझे आज 72 साल की आयु में भी विभोर करती है। उनकी आवाज प्रकृति से साक्षात्कार कराती थी।

पंडितजी का जाना संगीत जगत के लिए काली छाया

पंडितजी का जाना हम संगीत जगत के कलाकारों के लिए काली छाया की तरह है, जिसने सभी को स्तब्ध कर रखा है। यह आघात बहुत दिनों तक कष्ट देता रहेगा। शायद आजीवन..। वह संगीत के मूर्धन्य स्तंभ थे..संगीत मार्तड..अपनी आवाज से हमेशा से लोगों के दिलो-दिमाग में गूंजते रहेंगे। उन्होंने पूरी दुनिया में शास्त्रीय संगीत का परचम फहराया और आगे भी संगीत जगत उनके गायन से अनुप्राणित और आगे बढ़ता रहेगा।

(लेखक सुविख्यात शास्त्रीय गायक एवं हारमोनियम वादक हैं।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.