Pandit Jasraj Passes Away: भरी नगरिया तुम बिन सूनी.. हमको बिसार कहां चले
भरी नगरिया तुम बिन सूनी... हमको बिसार कहां चले... इन पंक्तियों को स्वर देने वाले शास्त्रीय गायकी के रसराज पंडित जसराज सब सूना कर गए।
नई दिल्ली, जेएनएन। 'भरी नगरिया तुम बिन सूनी, अंखिया निस दिन बरस रही। लाख सलोनी या जग माही, हमहि काहे तुम छले। हमको बिसार कहां चले..' इन पंक्तियों को स्वर देने वाले शास्त्रीय गायकी के 'रसराज' पंडित जसराज सब सूना कर गए। पंडित जसराज ने सोमवार को अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित आवास में अंतिम सांस ली। 90 वर्षीय पंडित जसराज का निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ। पंडित जसराज की बेटी दुर्गा ने यह जानकारी दी।
पंडित जसराज के परिवार ने कहा, 'भगवान श्रीकृष्ण स्वर्ग के द्वार पर उनका स्वागत करें, जहां पंडित जी अपने प्रिय ईश्वर के लिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय का गायन करें। उनकी आत्मा को संगीतमय शांति मिले।' 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज मेवाती घराने से ताल्लुक रखते थे। उनका परिवार चार पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था। उनके पिता पंडित मोतीराम इस घराने के संगीतज्ञ थे। बहुत छोटी उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। अपने आठ दशक से अधिक के संगीतमय सफर में पंडित जसराज को पद्म विभूषण समेत कई सम्मान मिले।
बन गए अद्वितीय शास्त्रीय गायक
जसराज ने अपने बड़े भाई पं. मणिराम की छत्रछाया में तबला वादन सीखा। शुरआती दिनों में वह तबला वादन ही करते थे। उस दौर में वादकों के साथ दोयम दर्जे के व्यवहार से जसराज क्षुब्ध रहा करते थे। 16 वर्ष की आयु में उन्होंने तबला वादन छोड़ दिया था और प्रण किया था कि जब तक वह शास्त्रीय गायन में विशारद नहीं प्राप्त कर लेते तब तक बाल नहीं कटवाएंगे। इस प्रण ने ही दुनिया को एक अद्वितीय गायक दिया। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी पंडित जसराज के बड़े प्रशंसक थे। जसराज को वह रस के राजा यानी 'रसराज' कहा करते थे। जसराज ने अपने ऊपर लिखी पुस्तक ‘रसराज, पंडित जसराज’ के विमोचन पर यह जानकारी श्रोताओं से साझा की थी।
पंडित जसराज के नाम पर हुआ है ग्रह का नामकरण
पिछले साल सितंबर में सौरमंडल में एक ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया था। यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार थे। इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने 'माइनर प्लेनेट' 2006 वीपी 32 का नामकरण पंडित जसराज के नाम पर किया था, जिसकी खोज 11 नवंबर, 2006 को हुई थी। यह ग्रह मंगल एवं बृहस्पति के बीच स्थित है। पंडित जसराज ने कहा था, 'यह ईश्वर की कृपा ही है। मेरे लिए इस ग्रह का यही संकेत है कि मेरे गुरओं ने मुझे आशीर्वाद दिया है।'