पांचजन्य ने आयकर पोर्टल में खामी को लेकर इन्फोसिस पर उठाए सवाल
इन्फोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर RSS से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य ने स्वदेशी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया है और पूछा है कि क्या कोई राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आíथक हितों को आघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। इन्फोसिस द्वारा विकसित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य' ने स्वदेशी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया है और पूछा है कि क्या कोई राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आíथक हितों को आघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
अपने नवीनतम संस्करण में, 'पांचजन्य' ने इन्फोसिस पर साख और आघात शीर्षक से चार पेज की कवर स्टोरी प्रकाशित की है और कवर पेज पर इसके संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर छापी है। लेख में बेंगलुरु स्थित कंपनी पर सवालों का हमला करते हुए इसे ऊंची दुकान, फीका पकवान बताया गया है।
लेख को 'राष्ट्र-विरोधी' करार देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि यह सरकार पर से दोष को हटाने की कोशिश है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। रमेश ने कहा कि संघ के एक प्रकाशन में इन्फोसिस पर किया गया अपमानजनक हमला निंदनीय है और वास्तव में राष्ट्र-विरोधी है। इन्फोसिस जैसी कंपनियों ने भारत को और दुनिया में उसकी स्थिति को बदला है।
लेख में यह रेखांकित करते हुए कि इन्फोसिस द्वारा विकसित इन पोर्टलों में नियमित रूप से दिक्कतें आती हैं, जिस वजह से करदाताओं और निवेशकों को परेशानी होती है, कहा गया कि ऐसी घटनाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कम कर दिया है। लेख में कहा गया है कि सरकारी संगठन और एजेंसियां इन्फोसिस को अहम वेबसाइट और पोर्टल के लिए अनुबंध देने में कभी नहीं हिचकिचाती हैं क्योंकि यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित साफ्टवेयर कंपनियों में से एक है।
लेख में हैरानी जताई गई है कि इन्फोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टल में गड़बड़ियों के कारण, देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के भरोसे को आघात पहुंचा है। क्या इन्फोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के आíथक हितों को आघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
हालांकि लेख में उल्लेख किया गया है कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया कि इन्फोसिस पर कई बार नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह की मदद करने का आरोप लगता रहा है।
इसमें यह भी पूछा गया है कि क्या इन्फोसिस अपने विदेशी ग्राहकों को भी इसी तरह की घटिया सेवा प्रदान करेगी। संपर्क करने पर 'पांचजन्य' के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि इन्फोसिस एक बड़ी कंपनी है। सरकार ने उसकी विश्वसनीयता के आधार पर उसे बहुत अहम कार्य दिए हैं।