बिना सबूत के ही कुलभूषण जाधव को फांसी देना चाहता था पाकिस्तान
पाक पीएम के सलाहकार सरताज अजीज कुछ समय पहले कहा था कि जाधव के खिलाफ सबूत नहीं हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तानी सेना बिना किसी ठोस सबूत के ही कुलभूषण जाधव को फांसी पर लटकाना चाहती थी। जाधव के खिलाफ पाकिस्तान के पास कोई ठोस सबूत नहीं है, इसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने पाकिस्तान की संसदीय समिति के सामने स्वीकार किया था। सरताज अजीज का कहना था कि ठोस सबूत नहीं होने के कारण जाधव मामले में डोजियर तैयार नहीं किया जा सका है।
आतंकवाद पर पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय जगत में अलग-थलग पड़ते जाने से निपटने के लिए किये जा रहे उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए सरताज अजीज को संसदीय समिति में पिछले साल दिसंबर में तलब किया गया था। इसी क्रम में संसदीय समिति की बैठक में सांसद मुशाहिद हुसैन ने सरकार से नाराजगी जताई कि बलूचिस्तान में आतंकवाद में भारत के हाथ को दुनिया के सामने सही तरीके से नहीं पेश किया जा रहा है।
इसके जबाव में सरताज अजीज ने बताया कि सरकार के पास जाधव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। अजीज का कहना था कि जाधव मामले की जांच सेना कर रही है और सेना की ओर से विदेश मंत्रालय को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर केवल चंद बयान ही भेजे गए हैं।
सरताज अजीज ने साफ कर दिया कि चंद बयानों के आधार पर कुलभूषण जाधव और बलूचिस्तान में भारत की दखलअंदाजी पर डोजियर तैयार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बार-बार मांगे जाने पर भी सेना अभी तक ठोस सबूत देने में विफल रही है। उनका कहना था कि सिर्फ बयानों के आधार पर भारत के खिलाफ दुनिया के सामने भारत को बेनकाब करने की कोशिश सफल नहीं होगी और इसके लिए ठोस सबूत जुटाने होंगे।
मजेदार बात यह है कि बिना सबूतों के पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तो कुलभूषण जाधव के खिलाफ डोजियर जारी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सैन्य अदालत ने गुपचुप तरीके से सुनवाई पूरी कर इन्हीं चंद बयानों के आधार पर जाधव को फांसी की सजा सुना दी। जाधव मामले में भारत की राजनयिक पहुंच की मांग को ठुकराने के पीछे असली वजह यही है। पाकिस्तान को डर है कि कुलभूषण तक राजनयिक पहुंच मिलने के बाद उसकी पोल खुल जाएगी। जो अब अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसला के बाद वैसे ही खुल गई है।
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