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हिंद महासागर में परमाणु प्रसार के लिए पाकिस्तान ने भारत को ठहराया कसूरवार

मैरिटाइम कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए अजीज ने कहा कि हिंद महासागर में परमाणु प्रसार ने पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है और भविष्य में इसका ख़तरा और बढ़ेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 13 Feb 2017 09:12 AM (IST)Updated: Mon, 13 Feb 2017 10:07 AM (IST)
हिंद महासागर में परमाणु प्रसार के लिए पाकिस्तान ने भारत को ठहराया कसूरवार
हिंद महासागर में परमाणु प्रसार के लिए पाकिस्तान ने भारत को ठहराया कसूरवार

इस्लामाबाद, जेएनएन। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकर सरताज अजीज ने कहा कि भारत के परमाणु प्रसार के चलते जो हिंद महासागर में सुरक्षा को खतरा हुआ है उन चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान किसी भी हद तक जाने को तैयार है। कराची में आयोजित मैरिटाइम कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए रविवार को अजीज ने कहा कि हिंद महासागर में परमाणु प्रसार ने पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है और भविष्य में इसका ख़तरा और बढ़ेगा।

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उन्होंने कहा कि इस महासागर में सैन्यीकरण, जनसंहार के हथियार का प्रसार, मिसाइल की बढ़ती मारक क्षमता और विदेशी सेनाओं की तरफ से लगातार बढ़ावा देना मुख्य चुनौती है। सरताज अजीज ने कहा कि हम अपनी राष्ट्रहित से भलीभांति परिचित है और समुद्री सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में सभी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में जो कुछ घटनाक्रम हो रहा है उन सभी से बेखबर रहना ये कोई विकल्प नहीं है।

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इन जटिल चुनौतियों पर आगे बोलते हुए अजीज ने कहा कि हिंद महासागर में आज कई तरह की गैर पारंपरिक चुनौतियां और ख़तरे हैं, जिनमें- पायरेसी, अवैध रूप से मछली पकड़ना, मानव तस्करी, ड्रग्स की तस्करी, हथियारों का गैरकानूनी व्यापार, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।

अजीज ने कहा यह पाकिस्तान के हित में है कि क्षेत्र में शांति बनी रहे क्योंकि करीब 95 प्रतिशत इसका व्यापार समुद्री मार्ग के जरिए ही होता है और देश की समुद्री तटरेखा करीब एक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी है। इसके साथ ही, कराची से लेकर ग्वादर बंदरगाह तक तीन लाख स्क्वायर किलोमीटर लंबा एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन है।

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सरताज अजीज पाकिस्तानी नौसेना की ओर से 'हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक संभावना 2030 और उससे आगे-बढ़ती चुनौतियां और रणनीति' पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन अरब सागर में पांच दिनों तक चलने वाले विभिन्न देशों के नौसैनिक अभियान के तहत आयोजित किया गया है।


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