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पाकिस्तान है यू टर्न का उस्‍ताद, जानें पहले भी कब-कब कर चुका है ऐसी हरकत

जानकारों का कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी और कुछ दूसरे कैबिनेट मंत्रियों ने गुरुवार को बहुत ही जोर-शोर से कश्मीर के मुद्दे को हवा दी है वह पाकिस्तान सरकार की बदली रणनीति की तरफ इशारा करता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 09:23 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 06:43 AM (IST)
पाकिस्तान है यू टर्न का उस्‍ताद, जानें पहले भी कब-कब कर चुका है ऐसी हरकत
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की पीटीआइ सरकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पहले भारत के साथ कारोबार करने के माहौल बनाने का नाटक और फिर ऐन वक्त पर फैसले को पलट देना। जिस तरह से बुधवार को पाकिस्तान ने भारत से चीन और कपास आयात करने का फैसला किया है और उसे गुरुवार को पलट दिया है, वैसा वहां की सरकार पहले भी कर चुकी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने अपनी कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति के फैसले को बदले जाने पर कहा कि जब तक भारत सरकार जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के अपने 2019 के फैसले को नहीं बदलती है, वह इस कारोबार को बहाल नहीं करेंगे। कुरैशी ने कहा कि यह छवि बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत के साथ रिश्ते सामान्य हो गए हैं और व्यापार बहाल हो गया, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।

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वर्ष 2012 में अंत समय में टाला था एमएफएन दर्जा देने का फैसला

वर्ष 2012 में युसूफ अली गिलानी की सरकार ने भारत को कारोबार के लिहाज से मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा देना का फैसला कर लिया और जिस दिन कैबिनेट की मुहर लगनी थी उसी दिन इसे टाल दिया गया था। उसी दौरान भारत से पेट्रोल-डीजल और बिजली खरीदने को लेकर भी दोनों देशों के बीच कई बैठकें हुईं और सौदे का पूरा खाका भी तैयार हो गया था, लेकिन जब भारत की तरफ से पेट्रो उत्पादों की आपूर्ति की प्लॉनिंग को अंतिम रूप देने की बात हुई तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने प्रस्ताव से ही किनारा कर लिया।

भारत- पाकिस्‍तान के द्विपक्षीय रिश्तों के पटरी पर आने को लगा करारा झटका

बहरहाल, पाकिस्तान सरकार के ताजा फैसले से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के पटरी पर आने की जो उम्मीद बंधी थी, उसे करारा झटका लगा है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी और कुछ दूसरे कैबिनेट मंत्रियों ने गुरुवार को बहुत ही जोर-शोर से कश्मीर के मुद्दे को हवा दी है, वह पाकिस्तान सरकार की बदली रणनीति की तरफ इशारा करता है। संभवत: पीएम इमरान खान की पीटीआइ सरकार ने राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए भारत के साथ संबंधों को सुधारने पर दाव लगाने से परहेज करने का फैसला किया है।

मजेदार तथ्य यह है कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने भारत से चीनी व कपास आयात करने के तमाम फायदे गिनाये और अगले ही दिन ही कश्मीर में अनुच्छेद 370 फिर से लगाने जैसी शर्त लगा दी। असलियत में भारत और पाकिस्तान के कारोबारी रिश्तों में हमेशा से ही इस तरह की विसंगतियां रही हैं। वर्ष 2019 में भारत ने भी पुलवामा हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान को दिए गए एमएफएन दर्जे को समाप्त करने का फैसला किया था।

भारत ने पाकिस्‍तान को यह दर्जा वर्ष 1996 में ही दिया हुआ था। उसके बदले भारत भी पाकिस्तान से यह मांग करता रहा है कि वह भी एमएफएन का दर्जा दे। एमएफएन दर्जा दिए राष्ट्र को अधिकांश उत्पाद व सेवाओं को निर्यात करने की छूट मिल जाती है। दोनो देशों के आपसी तनाव भरे रिश्तों की वजह से सार्क संगठन के तहत दक्षिण एशिया को मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) बनाने की सोच भी कभी परवान नहीं चढ़ पाई।


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