नौ साल बाद भी साजिशकर्ताओं को सजा दिलाना नहीं चाहता पाकिस्तान
मुंबई आतंकी हमले का मामला 2009 से पाकिस्तान के आतंक रोधी कोर्ट (एटीसी) में चल रहा है। मुश्किल से ऐसा कोई मामला होगा जो एटीसी में आठ साल से ज्यादा चला हो और अब भी लंबित हो। एटीसी में मुकदमे का जल्द फैसला होता है।
लाहौर, प्रेट्र। मुंबई आतंकी हमले के नौ साल बीत गए लेकिन इस हमले के एक भी संदिग्ध को पाकिस्तान में सजा नहीं हुई। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान के लिए यह मामला कभी प्राथमिकता में नहीं रहा। खासकर हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की रिहाई के बाद तो यह और भी स्पष्ट है। पाकिस्तान में कुछ पर्यवेक्षकों की यही राय है।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक वकील ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले का मामला 2009 से पाकिस्तान के आतंक रोधी कोर्ट (एटीसी) में चल रहा है। मुश्किल से ऐसा कोई मामला होगा जो एटीसी में आठ साल से ज्यादा चला हो और अब भी लंबित हो। एटीसी में मुकदमे का जल्द फैसला होता है।
उन्होंने कहा कि लगता है इस मामले में सरकार को जल्दबाजी नहीं है क्योंकि यह चिर-प्रतिद्वंद्वी भारत से जुड़ा है। वकील ने कहा कि पाकिस्तान के अधिकारी गंभीर होते तो इस मामले में वर्षों पहले फैसला हो गया होता। सुप्रीम कोर्ट के वकील मोबीन अहमद काजी ने कहा कि चूंकि यह मामला एटीसी में चल रहा है, इसलिए इसका फैसला काफी पहले हो जाना चाहिए था। ऐसे मामलों में आठ साल में सुबूत नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि पाकिस्तान इस आपराधिक मामले में इतना समय क्यों ले रहा है।
पाक का टालने वाला रवैया
भारत न केवल सईद बल्कि हमले में शामिल सभी को सजा दिलाने की पाकिस्तान से मांग करता रहा है। उसने सईद के हमले में शामिल होने को लेकर पाकिस्तान को डोजियर सौंपे हैं। लेकिन पाकिस्तान उसके खिलाफ ठोस सुबूत देने और 24 भारतीय गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए भेजने की मांग करता है। कई पाकिस्तानी सरकारी और निजी गवाहों ने सात आरोपियों के खिलाफ बयान दर्ज कराए और सुबूत दिए। फिर भी पाकिस्तान भारतीय गवाहों को भेजने को लेकर अड़ा है। जबकि इस मामले में 2009 से वांछित 20 लोगों को पाकिस्तान अब तक खोज नहीं पाया है।
सईद की रिहाई से बढ़ा मनोबल
हाफिज सईद के समर्थकों का मानना है कि उसकी रिहाई से मुंबई हमले के छह आरोपियों की रिहाई का मनोबल बढ़ा है। इन आरोपियों में अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और युनूस अंजुम शामिल हैं। इन पर मुंबई हमले में हत्या के लिए उकसाने, साजिश रचने और हमले को अंजाम देने के आरोप हैं। ये सभी रावलपिंडी की जेल में हैं। सातवां आरोपी लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी जमानत मिलने के बाद दो साल से आजाद है और गुप्त ठिकाने पर रहता है। बताया जाता है कि रिहाई की बधाई देने के लिए वह सईद से मिलने जेयूडी मुख्यालय आया था।
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