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Video: अपने जवानों के शवों से भी पाक करता है भेदभाव, डेढ़ माह बाद भी LoC पर पड़े हैं लावारिस शव

LoC में पड़े शवों को उठाने के लिए भारतीय सेना ने पाक को सूचित भी किया लेकिन आज तक Pakistan ने अपने शवों की कद्र नहीं की।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 10:45 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 08:33 AM (IST)
Video: अपने जवानों के शवों से भी पाक करता है भेदभाव, डेढ़ माह बाद भी LoC पर पड़े हैं लावारिस शव

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पाकिस्तान बेशक कश्मीरियों का हमदर्द होने का पाखंड करता रहे, लेकिन हकीकत में वह कश्मीरियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। उसकी इस मानसिकता की पुष्टि उत्तरी कश्मीर में LoC पर मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के शवों के साथ उसके दोगले व्यवहार से हो जाती है।

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गुलमर्ग सब-सेक्टर के सामने हाजी पीर में भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में मारे उसके दो सैनिकों के शव पाकिस्तानी सेना ने सफेद झंडा लहराते हुए उठा लिए। वहीं, केरन सेक्टर में डेढ़ माह से पड़े सात शवों को आज तक नहीं उठाया गया है। इसका कारण है कि हाजी पीर में मारे गए सैनिक पंजाबी मुस्लिम हैं। जबकि केरन में मारे गए सैनिक नार्दर्न लाइट इनफैंट्री (NLI) से ताल्लुक रखते हैं। NLI में गुलाम कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान के नागरिकों को भर्ती किया जाता है।

पाक का दोहरा रवैया
उत्तरी कश्मीर में तैनात सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाक सेना द्वारा हाजीपीर में सफेद झंडा लहराकर शव ले जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि इसकी वीडियो फुटेज भी तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान भले ही कश्मीरियों का हमदर्द होने का ढोंग रचे लेकिन वह कश्मीरियों को दोयम नागरिक मानता है। अगर ऐसा नहीं होता तो केरन सेक्टर में 30-31 जुलाई को मारे गए वह अपने पांच-सात सैनिकों के शवों को वहां LoC पर लावारिस हालात में क्यों छोड़ता। केरन में पड़े शवों को उठाने के लिए भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सूचित भी किया, लेकिन आज तक एनएलआइ के जवानों के शवों की कद्र नहीं की।

कारगिल में भी लावारिस छोड़ दिए थे शव
सेना अधिकारी ने बताया कि करगिल युद्ध में भी पाकिस्तानी सेना ने NLI के जवानों के शवों को लावारिस छोड़ दिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने उन्हें पूरे सम्मान के साथ दफनाया था। पाकिस्तान शुरू से ही कश्मीरियों और NLI के जवानों को बलि का बकरा मानता आया है। जब कभी पंजाबी फौजी मारा जाता है तो वह उसका शव प्राप्त करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। वहीं, किसी दूसरे क्षेत्र के फौजी के मरने पर उसके शव की उपेक्षा की जाती है।

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