PAK: सीपीईसी को सेना के चंगुल से निकालने की कोशिश में सरकार
इमरान सरकार ने तैयार किया प्रस्ताव जल्द ही संसद की स्वीकृति लेगी। निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार मई 2021 में कार्यकाल पूरा कर रही सीपीईसी अथॉरिटी के स्थान पर संचालन समिति बनाने के लिए तैयारी में है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। कहने को तो पाकिस्तान का योजना मंत्रालय सीपीईसी के अंतर्गत होने वाले विकास कार्यो का सर्वेसर्वा है लेकिन वास्तव में वह लूप में भी नहीं है। चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के लिए हो रहे विकास कार्य पूरी तरह से सेना की देखरेख में हो रहे हैं और उन्हें संचालित करने का जिम्मा रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने संभाल रखा है। लेकिन सरकार अब यह व्यवस्था बदलने की तैयारी में है।
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार मई 2021 में कार्यकाल पूरा कर रही सीपीईसी अथॉरिटी के स्थान पर संचालन समिति बनाने के लिए तैयारी में है। जल्द ही इस बाबत प्रस्ताव लाकर संसद की स्वीकृति ली जाएगी। इस समिति के लिए चेयरमैन की नियुक्ति प्रधानमंत्री करेंगे और चेयरमैन केवल प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करेगा। सीपीईसी संचालन समिति के चेयरमैन का पद मंत्री के स्तर का होगा। इसके बाद सीपीईसी के अंतर्गत देश भर में चल रहे विकास कार्यो के संचालन की जिम्मेदारी इस समिति की होगी। इस समिति में राजनीतिक लोगों के साथ ही नागरिक प्रशासन के लोग भी होंगे। सेना का प्रतिनिधित्व भी हो सकता है। लेकिन समिति पर नियंत्रण सरकार का रहेगा। परियोजनाओं की समीक्षा का अधिकार नागरिक प्रशासन के अधिकारियों के पास होगा।
अभी सीपीईसी सीईओ के रूप में बाजवा सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। वह योजना मंत्रालय को कोई महत्व नहीं देते। जबकि योजना मंत्री सीपीईसी की संयुक्त समिति के सह प्रमुख हैं। दक्षिण एशिया के देशों में पाकिस्तान में ही सेना की भूमिका सबसे ज्यादा विवादग्रस्त है। वहां सेना के जनरल सत्ता में सीधा दखल रखते हैं और सरकार के फैसलों को निर्देशित करते हैं। ऐसे में सीपीईसी योजनाओं के संचालन के ढांचे में बदलाव कर उसमें सरकार की भागीदारी बढ़ाने में इमरान सरकार सफल हो जाती है तो यह बड़ी ूबात होगी।