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पाक विदेश मंत्री को उम्मीद चुनाव बाद सुधरेंगे रिश्ते, मोइ-नुल हक बने नए उच्‍चायुक्‍त

पाकिस्तान ने पेरिस में अपने मौजूदा राजदूत मोइ-नुल हक को भारत में उच्चायुक्त बनाया है। इसके साथ ही भारत से अच्‍छे संबंध होने की संभावना जताई है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 10:11 PM (IST)
पाक विदेश मंत्री को उम्मीद चुनाव बाद सुधरेंगे रिश्ते, मोइ-नुल हक बने नए उच्‍चायुक्‍त
पाक विदेश मंत्री को उम्मीद चुनाव बाद सुधरेंगे रिश्ते, मोइ-नुल हक बने नए उच्‍चायुक्‍त

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बेहद खराब वित्तीय हालात से जूझ रहे पाकिस्तान ने एक बार फिर उम्मीद जताई है कि चुनाव संपन्न होने के बाद भारत के साथ उसके रिश्तों में बेहतरी आएगी। यह उम्मीद विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने नई दिल्ली के लिए नए उच्चायुक्त की नियुक्ति की घोषणा करते हुए जताई है। पाकिस्तान ने पेरिस में अपने मौजूदा राजदूत मोइ-नुल हक को भारत में उच्चायुक्त बनाया है। दूसरी तरफ, भारतीय विदेश मंत्रालय की तैयारियों को देखे तो उससे साफ होता है कि सत्ता में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार बने आतंकी फंडिंग पर एफएटीएफ पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिशों में कोई कोताही नहीं होगी।

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असलियत में पिछले दो महीनों के आम चुनाव की प्रक्रिया के दौरान भी एफएटीएफ को लेकर भारत की कूटनीतिक गतिविधियां बिना किसी अवरोध के चल रही हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने आगामी सरकार के लिए अगले कुछ महीनों (दिसंबर, 2019 तक) का जो एजेंडा तैयार किया है उसमें पाकिस्तान को लेकर मौजूदा नीति में कोई बदलाव की बात नहीं है।

जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के बाद पाकिस्तान सरकार की तरफ से उठाये जाने वाले कदमों के बावजूद भारत की दबाव बनाने वाली रणनीति में कोई बदलाव नहीं आने वाला है।

इसके बारे में विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी बताते हैं कि, थोड़ी सी भी ढिलाई देने का मतलब होगा कि पाकिस्तान फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आएगा। हम पहले भी देख चुके हैं कि दबाव में पाकिस्तान ने अपने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की है लेकिन कुछ दिनों बाद फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है। इस बार ऐसा नहीं हो इसलिए भारत एफएटीएफ को लेकर कोई कोताही नहीं बरतना चाहता।

एफएटीएफ यानी फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स की एशिया प्रशांत समूह की इस महीने के अंत में पाकिस्तान के साथ बैठक है। इसके बाद 16-21 जून, 2019 में एफएटीएफ की शीर्ष बैठक होगी जिसमें पाकिस्तान को लेकर यह फैसला होगा कि उसने आतंकियों को फंड उपलब्ध कराने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत तय नियमों को लागू किया है या नहीं।

अभी एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी) में रखा हुआ है। अगर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया तो उसके लिए इसका आर्थिक धक्का बर्दाश्त करना मुश्किल होगा। भारत अपनी तरफ से एफएटीएफ के सदस्य देशों को पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह देने और उन्हें फंड उपलब्ध कराने की सूचना उपलब्ध करा रहा है।

एफएटीएफ का अध्यक्ष अभी अमेरिका है जो आतंकवाद के मुद्दे पर हाल के महीनों में कई बार पाकिस्तान को चेतावनी दे चुका है। मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने में भी उसने भारत की पूरी मदद की। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन भी इस मुद्दे पर भारत के साथ है। ऐसे में चुनाव बाद भारत के साथ रिश्ते सुधरने की उम्मीद कर रहे पाकिस्तान विदेश मंत्री को उल्टा झटका लग सकता है।

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