अपने किए पर नावेद को कोई अफसोस नहीं
मुहम्मद नावेद उर्फ कासिम खान उर्फ उस्मान बेशक किसी मुठभेड़ के बाद जिंदा पकड़े जाने वाला पहला पाकिस्तानी आतंकी नहीं है। लेकिन आतंकियों की धर्मांध जेहादी मानसिकता का खुलासा करने वाला पहला आतंकी है, जिसे अपने पकड़े जाने या अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है, बल्कि उसे इसी काम
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। मुहम्मद नावेद उर्फ कासिम खान उर्फ उस्मान बेशक किसी मुठभेड़ के बाद जिंदा पकड़े जाने वाला पहला पाकिस्तानी आतंकी नहीं है। लेकिन आतंकियों की धर्मांध जेहादी मानसिकता का खुलासा करने वाला पहला आतंकी है, जिसे अपने पकड़े जाने या अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है, बल्कि उसे इसी काम में मजा आता है। पाकिस्तान के फैसलाबाद शहर के साथ सटे गुलाम मुस्तफाबाद गांव का रहने वाला नावेद बुधवार सुबह ऊधमपुर के निकट श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर हमला करने वाले दो आतंकियों में है। वह जिंदा पकड़ा गया है, लेकिन उसका साथी मोमिन खान मारा गया। वह बहावलपुर-पाकिस्तान का रहने वाला था।
पकड़े जाने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई डर का निशान नहीं था। उसने कहा हिंदुओं को मारने में मजा आता है। इसलिए मैं पाकिस्तान से यहां आया था। मैंने पहले भी एक बार कोशिश की थी, लेकिन बॉर्डर पर हमारा गाईड नहीं आया। इस बार मैं कामयाब हो गया। मैं बच गया और अगर मैं फौज के साथ मुकाबले में मारा जाता तो यह अल्लाह का ही हुक्म होता, लेकिन हिंदुओं को मारना बहुत अच्छा है। मैं तो यहां सिर्फ उन्हें ही मारने आया था। इसके लिए मैं 12 दिनों तक जंगल में पैदल चला और कुछ दिन जंगल में भूखा भी रहा।
उससे जब पूछा गया कि अगला मिशन क्या है तो जवाब आया मेरा मिशन खत्म, अब अगला मिशन आपका। पकड़े जाने के बाद जब कुछ ग्रामीणों ने उसे कहा कि यह कौन सा काम कर रहे हो, कोई अच्छा काम धंधा करो तो उसने कहा कि इसी काम में मजा है।
घुटा हुआ आतंकी है नावेद
उस्मान उर्फ नावेद पागल नहीं है। वह गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित किसी कमांडो से कम नहीं है, जो बचने के हर पैंतरे के साथ आया है और गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। यह दावा उससे शुरुआती पूछताछ में शामिल रहे एक पुलिस अधिकारी ने किया।
उन्होंने कहा कि शुरुआती पूछताछ में उससे मिले सुरागों के आधार पर वह जैश-ए-मुहम्मद द्वारा संचालित किसी मदरसे का छात्र रहा होगा और उसके ही किसी आतंकी शिविर से उसने ट्रेनिंग ली होगी। फैसलाबाद में जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर का काफी प्रभाव है। उसे लगता है कि नाबालिग होने पर उसे ज्यादा कठोर सजा नहीं होगी और वह छूट जाएगा। वह सामान्य आतंकी नहीं है बल्कि गुरिल्ला युद्ध और विध्वंसकारी गतिविधियों में पूरी तरह प्रशिक्षित एक खतरनाक आतंकी है।