Bangladesh India Relation: पद्मा पुल से तेज होगी बांग्लादेश की विकास यात्रा, भारत-बांग्लादेश के कारोबारी रिश्तों को भी नया आयाम देगा यह पुल
3.6 अरब डालर की लागत से तैयार तकरीबन 6.15 किलोमीटर लंबे इस सड़क व रेल मार्ग वाले पुल से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में दो से तीन प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है लेकिन यह मार्ग भारत और बांग्लादेश के कारोबारी रिश्तों को भी नया आयाम दे सकता है।
मावा, जयप्रकाश रंजन। (मुंशीगंज, बांग्लादेश) से लौटकर : पद्मा नदी बांग्लादेश में गंगा की प्रमुख धारा है। शनिवार को पद्मा नदी पर निर्मित पहले रेल व सड़क मार्ग परियोजना का पीएम शेख हसीना ने उद्घाटन किया। आम बांग्लादेशी जन के बीच इसे पद्मा पुल से जाना जा रहा है और पीएम हसीना की पार्टी आवामी लीग ने इसे बांग्लादेश के सबसे बड़े सपने के तौर पर प्रचारित किया है। 3.6 अरब डालर की लागत से तैयार तकरीबन 6.15 किलोमीटर लंबे इस सड़क व रेल मार्ग वाले पुल से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में दो से तीन प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन यह मार्ग भारत और बांग्लादेश के कारोबारी रिश्तों को भी नया आयाम दे सकता है क्योंकि अब ढाका से कोलकाता की दूरी तकरीबन तीन घंटे कम हो जाएगी।
यही नहीं पड़ोसी देश के मोंगला पोर्ट से होते हुए पद्मा ब्रिज से भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों तक ज्यादा तेजी से पहुंच सकेगा।दैनिक जागरण ने इस पुल के आस पास रहने वाले लोगों से बात की और इन सभी का एक स्वर में यही कहना था कि उन्होंने कुछ वर्ष पहले तक सपने में भी नहीं सोचा था कि पद्मा नदी पर पुल का निर्माण हो सकता है। 14-15 वर्ष पहले जो उम्मीद भी थी वह विश्व बैंक की तरफ से हाथ खींच लिए जाने के बाद टूट गई थी। वर्ष 2012 में विश्व बैंक ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस परियोजना के लिए वित्तीय या दूसरी मदद देने से साफ मना कर दिया था। तब बांग्लादेश सरकार ने अपने आतंरिक स्त्रोतों से इसका निर्माण कार्य करवाने का फैसला किया। पुल के लिए आम बांग्लादेशी ने जुटाए पैसे मावा में पुल के पास ढाबा चलाने वाले मुसीबुर रहमान ने बताया कि उन्होंने अपने दुकान में पुल के लिए चंदा जुटाने के लिए एक बाक्स रखा हुआ था जिसमें लोग पांच टका-दस टका का योगदान देते थे।
अभी तक पद्मा नदी को पार करने का एक मात्र जरिया नाव थी, जिससे एक पाट से दूसरी तरफ जाने में छह से आठ घंटे लगते थे। बारिश के दिनों मे उफनती पद्मा नदी को पार करना मौत को दावत देने के समान ही होता है। पुल के बन जाने से अब यह दूरी कुछ मिनटों में पूरी हो जाएगी।पद्मा ब्रिज के जरिये चुनावी नदी पार करने की तैयारी अगले वर्ष आम चुनाव की तैयारी में जुटी पीएम हसीना पद्मा पुल के जरिए फिर से सत्ता में वापसी की रणनीति बना रही हैं। वह लोगों को समझा रही हैं कि इस पुल की तरह ही भारत, रूस, चीन व जापान की मदद से दूसरी कई बड़ी परियोजनाएं वो पूरा कर सकती हैं जो बांग्लादेश की तस्वीर बदल सकती हैं। पुल के निर्माण से बढ़ा हसीना सरकार का हौसला इस पुल के निर्माण से जो भरोसा शेख हसीना सरकार को मिली है उसी का नतीजा है कि उसने अब 22 अरब डालर की लागत की आठ बड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं को पूरा करने की शुरुआत की है।
बांग्लादेश के संचार व सूचना मंत्री डा. हसन महमूद का कहना है कि इस परियोजना ने हमें भरोसा दिया है कि हम लीस्ट डेवलप¨मग देश (एलडीसी) से निकल कर जल्द मध्यम आय वाले विकासशील देशों की सूची में शामिल हो जाएंगे। विश्व बैंक ने भी कहा है कि बांग्लादेश वर्ष 2026 में एलडीसी से बाहर हो जाएगा।भारत के लिए भी काफी अहम है यह पुल भारत और बांग्लादेश की मैत्री के लिए भी पद्मा पुल की अहमियत बहुत अधिक है। दोनों देशों के राजनीतिक रिश्ते लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं और कारोबारी रिश्ते भी। हाल ही में दोनों देशों के बीच कारोबारी समझौता करने को लेकर भी वार्ता शुरू हुई है।
भारत स्वयं वहां कई रेलवे परियोजनाओं को पूरा करने में मदद कर रहा है और जापान के साथ मिल कर कुछ बड़ी सड़क परियोजनाएं शुरू करने के लिए बात कर रहा है। पुल के रेल मार्ग से घट जाएगी भारत-बांग्लादेश की दूरी पद्मा पुल पर रेल मार्ग की शुरुआत हो जाने के बाद भारतीय उत्पादों को ढाका तक तीन घंटे कम समय में भेजा जा सकेगा। यही नहीं आगे चल कर भारत बांग्लादेश के मोंगला पोर्ट को एक बड़े ट्रेड हब के तौर पर विकसित करने की मंशा रखता है ताकि देश के पूर्वोत्तर हिस्से तक जल्दी सामान पहुंचाया जा सके। पद्मा पुल के बन जाने के बाद मोंगला पोर्ट के रास्ते पूर्वोत्तर राज्यों तक ज्यादा तेजी से पहुंचा जा सकेगा।