भारत सहित इन देशों को विकास के नए आयाम छूने के लिए लगातार प्रयास करने जरूरत
अति गरीबी से उबरने में दक्षिण एशिया ने पूरी दुनिया के मुकाबले शानदार तरक्की की है। यहां गरीबी घटने की दर सबसे तेज 35 फीसद है। विश्व की तुलना में ये 10 फीसद ज्यादा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अति गरीबी से उबरने में दक्षिण एशिया ने पूरी दुनिया के मुकाबले शानदार तरक्की की है। यहां गरीबी घटने की दर सबसे तेज 35 फीसद है। विश्व की तुलना में ये 10 फीसद ज्यादा है। ये कहना है विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री डीन जोलिफ का। बुधवार को विश्व बैंक की रिपोर्ट पॉवर्टी एंड शेयर्ड प्रॉसपैरिटी 2018 : पीसिंग टुगेदर द पॉवर्टी पजल का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत सहित कई गरीब देशों को विकास के नए आयाम छूने के लिए लगातार प्रयास करने जरूरी हैं। ये रिपोर्ट 17 अक्टूबर को जारी की जाएगी।
कम होगा गरीबी का भार
वैश्विक स्तर पर घोर या अति गरीबी में जीवनयापन करने वालों की दर 2013 में 11 फीसद थी जो एक फीसद घटकर 2015 में 10 फीसद रह गई है। 2030 तक अति गरीब कुल आबादी का 85 फीसद उप सहारा अफ्रीका में मौजूद होगा। तो आने वाले समय में दक्षिण एशिया का बहुत कम भाग अत्यंत गरीबी से ग्रसित होगा।
कोशिशें जारी
भारत समेत दक्षिण एशिया के कई देशों में 2030 तक गरीबी का खात्मा करने के लक्ष्य है। रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि देश और वैश्विक स्तर पर इससे निबटने के लिए लगातार प्रयास किए जाने होंगे।
गरीब देश अब भी बेहाल
दक्षिण एशिया में भले ही गरीबी घटने की दर सबसे तेज है लेकिन यहां के निम्न आय वाले देशों को अब भी अत्यधिक गरीबी जकड़े हुए है। यहां कोई विकास नहीं हो सका। संघर्ष और राजनीतिक उथल- पुथल इसका मूल कारण बना। विश्व बैंक का अनुमान है कि 2018 तक अत्यंत गरीबी घटकर 8.6 फीसद रह गई है।
दुनिया को छोड़ा पीछे
1990 में दक्षिण एशिया में गरीबी दर 47 फीसद से ज्यादा थी। 2015 में यह गिरकर 12 फीसद से थोड़ी अधिक रह गई है। यानी 25 साल में यहां घोर गरीबी 35 फीसद घटी है। घोर गरीबी में ये गिरावट पूरी दुनिया में सबसे तेज और असाधारण है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
तो आधी आबादी गरीबी में
वैश्विक स्तर पर गरीबी रेखा 1.90 अमेरिकी डॉलर से थोड़ी ही ज्यादा है। अगर इसे 3.20 डॉलर कर दिया जाए तो दक्षिण एशिया में आधे से ज्यादा तकरीबन 49 फीसद अति गरीबी के दायरे में आ जाएंगे। इसीलिए गरीबी घटने की दर तेज उछाल आने के बाद भी गरीबी खत्म करने पर ही ध्यान केंद्रित रहना चाहिए।