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ब्राह्मण दुल्हनों के लिए तमिलनाडु की उत्तर प्रदेश और बिहार पर टिकी आस, 40 हजार से ज्‍यादा युवकों को नहीं मिल रहा जीवनसाथी

तमिलनाडु स्थित ब्राह्मण संघ ने उत्तर प्रदेश और बिहार में ब्राह्मण दुल्हनों की तलाश के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के 40 हजार से अधिक युवा तमिल ब्राह्मणों को राज्य के भीतर दुल्हन ढूंढना मुश्किल हो रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 08:03 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 07:04 AM (IST)
ब्राह्मण दुल्हनों के लिए तमिलनाडु की उत्तर प्रदेश और बिहार पर टिकी आस, 40 हजार से ज्‍यादा युवकों को नहीं मिल रहा जीवनसाथी
तमिलनाडु के 40,000 से अधिक युवा तमिल ब्राह्मणों को राज्य के भीतर दुल्हन ढूंढना मुश्किल हो रहा है...

चेन्नई, पीटीआइ। तमिलनाडु के 40,000 से अधिक युवा तमिल ब्राह्मणों को राज्य के भीतर दुल्हन ढूंढना मुश्किल हो रहा है इसलिए तमिलनाडु स्थित ब्राह्मण संघ ने उत्तर प्रदेश और बिहार में ब्राह्मण दुल्हनों की तलाश के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। थमिजनाडु ब्राह्मण एसोसिएशन (थंब्रास) के अध्यक्ष एन नारायणन ने एसोसिएशन की मासिक तमिल पत्रिका के नवंबर अंक में प्रकाशित एक खुले पत्र में कहा, 'हमने अपने संगम की ओर से एक विशेष आंदोलन शुरू किया है।'

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मोटे अनुमानों का हवाला देते हुए नारायणन ने कहा कि 30-40 आयु वर्ग के 40,000 से अधिक तमिल ब्राह्मण पुरुष शादी नहीं कर सके क्योंकि वे तमिलनाडु के भीतर अपने लिए दुल्हन नहीं ढूंढ पा रहे हैं। अनुमानित आंकड़ा बताते हुए उन्होंने कहा, 'अगर तमिलनाडु में विवाह योग्य आयु वर्ग में 10 ब्राह्मण लड़के हैं, तो इस आयु वर्ग में केवल छह लड़कियां उपलब्ध हैं।'

एसोसिएशन प्रमुख ने अपने पत्र में कहा कि इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली, लखनऊ और पटना में समन्वयकों की नियुक्ति की जाएगी। नारायणन ने कहा कि हिंदी में पढ़ने, लिखने और बोलने में सक्षम व्यक्ति को यहां एसोसिएशन के मुख्यालय में समन्वय की भूमिका निभाने के लिए नियुक्त किया जाएगा।

थंब्रास प्रमुख ने बताया कि वह लखनऊ और पटना के लोगों के संपर्क में हैं और इस पहल को अमल में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'मैंने इस संबंध में काम शुरू कर दिया है।'

कई ब्राह्मण लोगों ने इस कदम का स्वागत किया, वहीं समुदाय के भीतर से अलग विचार भी सामने आए। शिक्षाविद एम परमेश्र्वरन ने कहा, 'विवाह योग्य आयु वर्ग में पर्याप्त संख्या में तमिल ब्राह्मण कन्याएं उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि लड़कों को दुल्हन नहीं मिल पाने का यही एकमात्र कारण नहीं है।' उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि भावी दूल्हों के माता-पिता शादियों में 'धूमधाम और दिखावे' की उम्मीद क्यों करते हैं।

परमेश्र्वरन ने कहा कि लड़की के परिवार को शादी का पूरा खर्च उठाना पड़ता है और यह तमिल ब्राह्मण समुदाय का अभिशाप है। उन्होंने कहा कि आभूषण, मैरिज हॉल का किराया, भोजन और उपहारों पर खर्च इन दिनों आसानी से कम से कम 12-15 लाख रुपये हो जाएगा।

उन्होंने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे गरीब ब्राह्मण परिवारों को जानता हूं जो अपनी बेटियों की शादी के लिए धन जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर अच्छे लोग अपने अहंकार को त्यागने के लिए तैयार हैं, तो वे तमिलनाडु में दुल्हन ढूंढ सकते हैं। तभी वे हमारे ऋषियों और शास्त्रों द्वारा प्रतिपादित धर्म का अनुयायी होने का दावा कर सकते हैं।'

दुल्हन की तलाश कर रहे एक युवक अजय ने कहा, 'अब तमिल-तेलुगु ब्राह्मण विवाह या कन्नड़ भाषी माधवों और तमिल भाषी स्मातरें के बीच शादियों को देखना असामान्य नहीं है। कई दशक पहले ऐसा कुछ अकल्पनीय था। पहले भी हमने उत्तर भारतीय और तमिल ब्राह्मणों के बीच परिवार की रजामंदी से विवाह होते देखा है।'

नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक वैष्णव तमिल ब्राह्मण ने कहा, 'कुछ वर्ष पहले तक अयंगर समुदाय में थेंकलाई और वडकलाई संप्रदायों के बीच विवाह भी असंभव था। लेकिन आज यह हो रहा है और एसोसिएशन के इस कदम का स्वागत है।' 


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