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मॉर्निंग वॉकर्स से उस्मानिया विश्वविद्यालय लेगा मासिक शुल्क, जानें क्या है वजह

उस्मानिया विश्वविद्यालय ने पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए यहां सुबह सैर करने आने वाले लोगों से अब हर महीने 200 रुपये लेने का फैसला किया है। कैंपस को हरा-भरा और ऑक्सीजन जोन बनाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा की जा रही हैं।

By Geetika SharmaEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 12:24 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 12:24 PM (IST)
मॉर्निंग वॉकर्स से उस्मानिया विश्वविद्यालय लेगा मासिक शुल्क, जानें क्या है वजह
मॉर्निंग वॉकर्स से उस्मानिया विश्वविद्यालय लेगा मासिक शुल्क

हैदराबाद तेलंगाना, एएनआई। तेलंगाना के हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय ने पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए नई पहल की है। विश्वविद्यालय में सुबह सैर करने आने वाले लोगों से अब हर महीने 200 रुपये लिए फीस ली जाएगी। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. रविंदर ने बताया कि इससे पर्यावरण को साफ रखने में मदद मिलेगी और हम लोगों को और अच्छी सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम कैंपस को हरा-भरा और ऑक्सीजन जोन बनाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई यह फीस देने में समर्थ नहीं है तो वह आई-कार्ड लेकर विश्वविद्यालय में सैर करने के लिए आ सकता है।

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लोगों से की बातचीत

डा. रविंदर ने कहा कि उस्मानिया विश्वविद्यालय सभी के लिए है। यहां सैर करने के लिए लोग विश्वविद्यालय के चारों ओर घूमते हैं। इसके चलते विश्वविद्यालय के हितों को ध्यान में रखते हुए यहां सैर के लिए वाले लोगों से बातचीत की गई। इस दौरान लोगों ने अपनी मांगे कुलपति के सामने रखी, जिसमें पार्क में कुर्सियां लगाना, पानी के लिए कूलर लगाना आदि शामिल था। इसके लिए लोगों से एक मामूली शुल्क देने की बात कही गई।

जिम पर खर्च लाखों रुपये

कुलपति डा. रविंदर ने बताया कि कुछ लोग अपना राजनीतिक लाभ लेने के लिए मीडिया में झूठी खबरें फैलाने की कोशिश भी करते है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जिम बनाने पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण जिम का इस्तेमाल नहीं किया गया था। इसके बाद हमने फिट इंडिया कार्यक्रम के तहत दोनों विश्वविद्यालय के छात्रों और बाहर के लोगों के लिए जिम में एक समय तय किया। जिससे वह कोरोना नियमों का पालन करते हुए पूरी तरह से जिम का फायदा ले सकें। जिम का इस्तेमाल करने के लिए भी लोगों से मामूली 1000 रुपये लिए जाते हैं।

पर्यावरण को दूषित करते हैं लोग

डा. रविंदर ने बताया कि विश्वविद्यालय में तीन ग्राउंड हैं। जहां बाहर के लोग सैर करने के लिए आते है और कचरा इधर-उधर फेंक कर पर्यावरण को गंदा करते हैं। पर्यावरण को साफ रखने के लिए बाहरी लोगों से कुछ पैसे लिए जाते हैं और उन्हें अलग से आई-कार्ड भी दिए गए हैं। छात्रों के लिए भी अलग आईडी कार्ड हैं और उनके वाहनों पर स्टिकर लगे होते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक बाहरी व्यक्ति ने विश्वविद्यालय के वन में अवैध तरीके से घुसकर कुत्ते को दफना दिया, जिससे विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। इसलिए इस तरह की चीजों को रोकने के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं।


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