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कृषि मंत्री से मिला ग्रामीण भारत के एनजीओ का संगठन, कानून के समर्थन में तीन लाख से अधिक हस्‍ताक्षर पेश किए

ग्रामीण भारत के गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी से मुलाकात की और केंद्र के तीन कृषि कानूनों के समर्थन में एक लाख गांवों के तीन लाख से अधिक हस्ताक्षर प्रस्तुत किए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 04:21 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 04:29 PM (IST)
कृषि मंत्री से मिला ग्रामीण भारत के एनजीओ का संगठन, कानून के समर्थन में तीन लाख से अधिक हस्‍ताक्षर पेश किए
कृषि कानूनों के समर्थन में एक लाख गांवों के तीन लाख से अधिक हस्ताक्षर प्रस्तुत किए।

 नई दिल्‍ली, एएनआइ। किसान दिवस के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में ग्रामीण भारत के गैर सरकारी संगठनों के परिसंघ के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की। यह जानकारी कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय ने दी। ग्रामीण भारत के गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी से मुलाकात की और केंद्र के तीन कृषि कानूनों के समर्थन में एक लाख गांवों के तीन लाख से अधिक हस्ताक्षर प्रस्तुत किए।

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दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक के किसान नए केंद्रीय कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों के किसान विपक्षी दलों के जाल में फंस गए हैं, जो उन्हें उकसा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले हुए लोग पूरे देश के किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, बल्कि वे किसानों के विरोध की आड़ में राजनीति करने वाले लोगों को शामिल करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश किसान कृषि सुधारों के समर्थन में हैं। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले चार हफ्तों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। प्रदर्शनकारी किसान कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं।

कैलाश चौधरी से पूछा गया कि जब किसानों को ऐसे कृषि कानूनों की आवश्यकता नहीं है, तो सरकार उन पर कानून क्यों लाद रही है? इस सवाल पर चौधरी ने जवाब दिया कि देश भर के किसान दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में कश्मीर और पश्चिम में राजस्थान की सीमा से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल तक, सभी तीन कृषि कानून के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट क्षेत्रों के किसानों को इन कानूनों के बारे में गुमराह किया जा रहा है। लेकिन हम आशा करते हैं कि यदि वे भी जल्द ही नए कानूनों के लाभों से अवगत होंगे तो विरोध का कोई सवाल ही नहीं उठेगा।


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