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मध्य प्रदेश में हर छठे दिन एक बाघ की मौत, वन्यप्राणी प्रबंधन कठघरे में

साढ़े चार महीने में 22 बाघों की जान गई पिछले आठ दिन में छह मरे। इतने कम समय में इतनी मौत का आंकड़ा पहली बार सामने आया। ज्यादातर मामलों में वजह आपसी संघर्ष या प्राकृतिक मौत ही बताई जा रही है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 11:02 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 11:02 PM (IST)
मध्य प्रदेश में हर छठे दिन एक बाघ की मौत, वन्यप्राणी प्रबंधन कठघरे में
मध्य प्रदेश में हर छठे दिन एक बाघ की मौत, वन्यप्राणी प्रबंधन कठघरे में

भोपाल, जागरण टीम। मध्य प्रदेश में गत साढ़े चार महीनों में 22 बाघों की मौत ने वन्यप्राणी प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस अवधि में प्रदेश में हर छठे दिन में औसतन एक बाघ की मौत हुई है। इनमें से छह तो पिछले आठ दिनों में मरे हैं। इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में बाघों की मौत का यह आंकड़ा पहली बार सामने आया है।

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पिछले सात सालों में इस अवधि में 10 से 15 तक बाघों की मौत हुई थी। यह स्थिति तब है, जब अगले साल सभी राज्यों में बाघों की गिनती शुरू होनी है और पिछली गणना में बाघों की संख्या में दूसरे नंबर पर रहा कर्नाटक इस बार मध्य प्रदेश को कड़ी टक्कर दे सकता है। वर्ष 2018 के बाघ आकलन में कर्नाटक में 524 बाघ थे, जबकि 526 मध्य प्रदेश में थे। महज दो बाघ ज्यादा होने पर मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा मिला था।

शुक्रवार को भी बांधगवढ़ टाइगर रिजर्व की बडखेरा बीट में बाघ का शव मिला है। इसे मिलाकर पिछले आठ दिनों में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से छह बाघों की मौत की खबर आ चुकी है। वन अधिकारी बाघों की मौत का कारण नहीं बता पा रहे हैं। ज्यादातर मामलों में वजह आपसी संघर्ष या प्राकृतिक मौत ही बताई जा रही है। हालांकि, तीन बाघों का शिकार भी हुआ है, जबकि दो की ट्रेन से कटकर मौत हुई है।

देश में बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा

अप्रैल और मई में देश भर में बाघों की मौत का कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं है पर इस साल 31 मार्च तक के उपलब्ध आंकड़ों को देखें तो कर्नाटक में सिर्फ पांच बाघों की मौत हुई है। महाराष्ट्र और उत्तराखंड में भी संख्या ज्यादा नहीं है। इस हिसाब से मध्य प्रदेश बाघों की मौत के मामले में हर साल की तरह देश में पहले स्थान पर है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में प्रदेश में 30 और वर्ष 2019 और 2018 में 29-29 बाघों की मौत हुई थी।

बाघ आकलन में होगी देरी

वैसे तो बाघों की गिनती दिसंबर,2021 या जनवरी,2022 से शुरू होनी थी, पर कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में तैयारियां प्रभावित हुई हैं। इसलिए बाघों का पांचवां आकलन चार से पांच महीने पिछड़ सकता है।

क्या कहना है अधिकारी का

ज्यादातर बाघों की मौत आपसी संघर्ष या प्राकृतिक रूप से हुई है। ट्रेन से कटने और शिकार के भी मामले हैं। इनमें आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मैदानी अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।- आलोक कुमार, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक (मध्य प्रदेश)


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