दुष्कर्म मामले पर नए नियम में हर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' की दरकार, मध्य प्रदेश पहले से ही इसमें सक्रिय
बीस अप्रैल के अंक में दैनिक जागरण ने प्रकाशित की थी खबर, देश के हर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' की बताई थी जरूरत
भोपाल (संदीप चंसौरिया)। बारह साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने के अध्यादेश में देश के हर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' खोलने का भी प्रावधान है। पीड़िताओं को शीघ्र न्याय दिलाने, उन्हें सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से यह प्रावधान शामिल किया गया है। इस तरह के केंद्र मध्य प्रदेश के भोपाल में 'गौरवी' और उत्तर प्रदेश के 11 जिले में 'आशा ज्योति' नाम से एक्शन एड संस्था द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
वहीं देश के 13 राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित जिलों में सखी सेंटर शुरू किए गए हैं। इनमें मप्र के 26 जिले भी शामिल हैं। हालांकि सखी सेंटर में अभी केवल पीडि़ता की काउंसिलिंग की जाती है। दैनिक जागरण ने 20 अप्रैल को जागरण सरोकार में 'गौरवी' के माध्यम से आत्मनिर्भर बनीं तीन पीड़िताओं की कहानी बताते हुए देशभर में वन स्टॉप सेंटर शुरू करने की जरूरत को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
गौरतलब है कि दुष्कर्म की घटनाओं के बाद पीडि़ता न सिर्फ मानसिक रूप से टूट जाती है बल्कि उसे सामाजिक स्वीकार्यता में भी मुश्किल होती है। इससे बाहर निकालने में 'वन स्टॉप सेंटर' कारगर हैं। जहां पीडि़ताओं को विधिक सहायता के साथ ही आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में भी पूरी मदद की जाती है।
मप्र में हुई थी शुरुआत
16 जून 2014 को देश का सबसे पहला वन स्टॉप सेंटर भोपाल में शुरू हुआ था। हालांकि इसकी बुनियाद फरवरी 2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वयंसेवी संगठन एक्शन एड के पदाधिकारियों की बैठक में रख दी गई थी।
जस्टिस मेहरा आयोग ने दिया था सुझाव
निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने दुष्कर्म पीडि़ता को न्याय दिलाने की दिशा में सुझाव के लिए जस्टिस उषा मेहरा आयोग का गठन किया था। आयोग से सिर्फ एक बिंदु पर रिपोर्ट मांगी गई थी कि किस तरह पीडि़ता को पूरा न्याय दिलाया जा सकता है। आयोग ने बांग्लादेश समेत एशिया के 3-4 देशों का अध्ययन कर हर जिले में वन स्टॉप सेंटर खोलने का सुझाव दिया था।
गौरवी ने 700 पीडि़ताओं को बनाया आत्मनिर्भर
भोपाल के वन स्टॉप सेंटर 'गौरवी' ने पिछले चार सालों में हिंसा व दुष्कर्म की शिकार करीब 39 हजार पीडि़ताओं की हेल्पलाइन के माध्यम से काउंसलिंग की है, वहीं 700 से ज्यादा पीडि़ताओं को आत्मनिर्भर बनाया है।
न्याय के प्रति जागेगा विश्वास
समाज में बढ़ती विकृति और सुलभ न्याय की मुश्किल के चलते पीडि़ताओं में न्याय के प्रति विश्वास कम हुआ है। हर जिले में वन स्टॉप सेंटर शुरू होने से विश्वास वापस आएगा। पीडि़ताएं समाज में पुन: आत्मसम्मान प्राप्त कर सकेंगी।- सारिका सिन्हा, रीजनल मैनेजर, एक्शन एड